इसलिए अड़े हैं कर्मचारी
कॉलेज के अस्थाई अशैक्षणिक कर्मचारियों ने बताया कि 2012 से प्रारंभ कॉलेज में अब तक कोई स्थायी भर्ती नहीं हुई है और कर्मचारी लंबे समय से अस्थायी तौर पर सेवाएं दे रहे हैं। मार्च 2022 तक राजस्थान तकनीकी विश्वविद्यालय से संबद्ध कॉलेज में अशैक्षणिक कार्मिकों को तकनीकी नियम अनुसार बोर्ड ऑफ गवर्नेंस के जरिए योग्यता व अनुभव के आधार पर वेतन मिलता था। अप्रैल से जब से इसे मर्ज कर जीजीटीयू का संघटक बना दिया, तब से वेतन में कटौती कर दी गई। मानसिक-आर्थिक शोषण पर कॉलेज मर्ज होने से पहले प्राचार्य डॉ. बीएल गुप्ता व कुलपति आईवी त्रिवेदी से चर्चा पर आश्वासन भी दिया कि वेतनमान में कटौती नहीं की जाएगी, लेकिन बाद में मनमानी की गई।
यह उठाई मांगें
अशैक्षणिक कार्मिक अब एजेंसी से हटाकर सीधे महाविद्यालय के अधीन करने, बोर्ड ऑफ मैनेजमेंट में प्रस्ताव रख कर शैक्षणिक कार्मिकों की तरह वेतन में बढ़ोतरी कराने और इसमें वार्षिक अभिवृद्धि का प्रावधान लागू करने की मांग के लिए कार्य बहिष्कार कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि मांगों पर जब तक सहमति नहीं होगी, कार्य बहिष्कार जारी रहेगा।
फीस और अन्य मुद्दों को लेकर एबीवीपी में रोष
इधर, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद में द्वितीय वर्ष के छात्रों की फीस ज्यादा होने, कॉलेज में कोई टेक्निकल इवेंट सहित शैक्षिक-सहशैक्षिक गतिविधियां ठप होने से रोष है। राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य दिनेश राणा ने बताया कि इस बारे में ज्ञापन भी दिए, लेकिन सुनवाई नहीं हुई। बंद होने के कगार पर पहुंचे कॉलेज के गेट पर कुलपति के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया। छात्रों ने हॉस्टल में नॉन टेक्निकल वार्डन लगाने, टेक्निकल इवेंट कराने के साथ विद्यार्थियों की इंडस्ट्री विजिट करवाने की मांगें भी की।
इनका कहना है
कर्मचारियों की दिक्कत विश्वविद्यालय प्रशासन और प्लेसमेंट एजेंसी को बता दी है। अस्थायी कर्मचारियों की दो दिन से हड़ताल के चलते कामकाज ठप है। वैकल्पिक इंतजाम के प्रयास किए जा रहे हैं। छात्रों की मांगों और समस्याओं पर चर्चा की है। समाधान किया जाएगा।
मनोज पंड्या, कार्यवाहक प्राचार्य, विश्वविद्यालय अभियांत्रिकी महाविद्यालय, बांसवाड़ा।