राजकीय बालिका उच्च माध्यमिक विद्यालय, चंदपोल गेट में इन दिनों राष्ट्रीय सेवा योजना शिविर चल रहा है। शिविर के परंपरागत काम में ही कुछ अलग करने के लिए स्कूल प्रबंधन ने सरस्वती मंदिर और उसके आस पास के इलाके को पवित्र, सुंदर और साफ सुथरा बनाने का निश्चय किया। साथ ही स्कूल परिसर को भी संवारने की ठानी। बस फिर क्या था। शिविरार्थी छात्राओं को हाथों में ब्रश और रंग के डिब्बे थमाए और देखते देखते मंदिर परिसर की सूरत बदल दी। सरस्वती के स्वागत में जैसे पूरा आंगन दमक उठा। सामने तुलसी क्यारे का रूप निखार दिया गया। वहां सरस्वती के वाहन मोर के पंख की अलग ही छटा बिखर रही थी। तो इर्द गिर्द रखे गमले गेरुआ रंग से निखर गए।
प्रवेश के साथ ही रखे गमलों पर भी रंग-रोगन के साथ ही उस पर सुंदर कलाकृति बनाई गई। एक द्वार के दोनों ओर दीवार पर माण्डणे आने वालों का स्वागत करते दिखे तो एक अन्य दीवार पर सफाई करती बालिकाओं की तस्वीर से स्वच्छ भारत के सपने को साकार बनाने की ओर कदम बढ़ते दिखे। विद्यालय के प्रवेश द्वार से लेकर अंदर बगीचे तक सजावट व कलाकृतियों को शिविरार्थी छात्राओं ने उकेर कर स्कूल को एक नई पहचान दे दी। पहले जो इस स्कूल में आ चुका था वह यह नया रूप देखकर अंचभित था। उल्लेखनीय है कि प्रदेश के सैकड़ों स्कूल में 26 दिसम्बर से 1 जनवरी तक यह शिविर आयोजित किए गए थे, लेकिन इनमें से अधिकांश औपचारिक की रहे।
शुरुआत स्कूल से…
शिविर प्रभारी कीर्ति श्रीमाल ने कहा कि सेवा योजना में श्रमदान का बहुत महत्व है। छात्राओं को एक दो बस्ती में ले गए थे, लेकिन शुरुआत स्कूल से ही करने का निर्णय किया। शिविर में पंजीकृत 54 छात्राओं ने स्कूल की साफ-सफाई से लेकर रंगने व कलाकृतियां उकेरने में जबरदस्त रुझान दिखाया।
शिविर प्रभारी कीर्ति श्रीमाल ने कहा कि सेवा योजना में श्रमदान का बहुत महत्व है। छात्राओं को एक दो बस्ती में ले गए थे, लेकिन शुरुआत स्कूल से ही करने का निर्णय किया। शिविर में पंजीकृत 54 छात्राओं ने स्कूल की साफ-सफाई से लेकर रंगने व कलाकृतियां उकेरने में जबरदस्त रुझान दिखाया।
पूरा प्रयास रहा
छात्राओं की प्रतिभा को निखारने के लिए यह अवसर दिया गया। रंग-रंगोन के साथ ही मैं स्वयं भी छात्राओं के साथ रही। शिविर में एक अच्छा कार्य हुआ। निश्चित ही इससे शिविरों के प्रति विद्यार्थियों की धारणा बदलेगी।
चंद्रिका शर्मा, संस्था प्रधान उमावि, चंद्रपोल
छात्राओं की प्रतिभा को निखारने के लिए यह अवसर दिया गया। रंग-रंगोन के साथ ही मैं स्वयं भी छात्राओं के साथ रही। शिविर में एक अच्छा कार्य हुआ। निश्चित ही इससे शिविरों के प्रति विद्यार्थियों की धारणा बदलेगी।
चंद्रिका शर्मा, संस्था प्रधान उमावि, चंद्रपोल