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शिक्षक दिवस : सखा बनकर साथ खेलते भी हैं, अभिभावक बनकर जीने की राह भी दिखा रहे… ज्ञान की घुट्टी पिलाने के इस जज्बे को सलाम

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बांसवाड़ाSep 05, 2018 / 11:30 am

Ashish vajpayee

banswara

शिक्षक दिवस : सखा बनकर साथ खेलते भी हैं, अभिभावक बनकर जीने की राह भी दिखा रहे… ज्ञान की घुट्टी पिलाने के इस जज्बे को सलाम

बांसवाड़ा. ‘गुरु गोविंद दोऊ खड़े काके लागू पाये, बलिहारी गुरु आपने गोविंद दिओ बताए’। गुरु के महत्व का वर्णन करता हुआ यह दोहा उन्हें ईश्वर से अधिक दर्जा देता है। और सिर्फ इस एक दोहे में ही नहीं बल्कि वेद-पुराण हर धार्मिक और शिक्षाप्रद पुस्तकों में गुरुओं के महत्व का वर्णन किया गया है। गुरुओं को यह सम्मान यूं ही नहीं मिला है। इसके पीछे उनका नई पीढ़ी के निर्माण को लेकर समर्पण है। कहीं कहीं तो इस समर्पण के जज्बे की पराकाष्ठा का दर्शन होता है।
अब मूक बधिरों को पढ़ाने वाले शिक्षकों को ही देखें। वे सिर्फ शिक्षक ही नहीं वरन बच्चों के अभिभावक बन उन्हें जीवन जीने को वो मार्ग दिखला रहे हैं, जो शायद उन्हें जन्म देने वाले भी न दिखा पाए। शिक्षक सुन बोल सकते हैं लेकिन मूक बधिरों को ज्ञान देते समय खुद मूक होकर उनकी भाषा और हावभाव से उन्हें ज्ञान दे रहे हैं। उन्हें आत्मनिर्भर बनाने का काम कर रहे हैं, समाज की मुख्य धारा से जोड़ रहे हैं। शिक्षक दिवस पर पेश है ऐसे ही शिक्षकों पर एक रिपोर्ट
80 बच्चों को दे रहे ज्ञान का सुर
बांसवाड़ा के लोधा में संचालित मूक बधिर आवासीय विद्यालय में वर्तमान में 80 बच्चे जिन्दगी का पाठ सीख रहे हैं। विषमता के साथ जन्म लेने वाले इन बच्चों को सामान्य लोगों के बराबर खड़ा रखने की जद्दोजहद में लगे शिक्षक इन्हें किताबी ज्ञान हो या अध्यात्म। खेलकूद हो या कला-कौशल, हर क्षेत्र में पारंगत बनाने की कोशिश कर रहे हैं।
…तरीके भी भिन्न
वैसे तो विशेष योग्यजन बच्चों को शिक्षा देने के लिए विशेष लिपि और पद्धतियां हैं लेकिन बच्चों के प्रति शिक्षकों का समर्पण का भाव भी विशेष है। कक्षा के दौरान और कक्षा के बाद भी बच्चों को अधिक से अधिक सिखाने के लिए शिक्षकों ने नए-नए तरीके अपनाए हैं। जो बच्चों को शिक्षित तो करते ही हैंं साथ ही उन्हें जीविकोपार्जन के लिए हुनरमंद भी बनाते हैं। मसलन सिलाई, कढ़ाई, बुनाई सरीखे ढेरों तरीकों से बच्चों का सुनहरा भविष्य बुनने का प्रयास शिक्षकों के द्वारा किया जा रहा है।
राजकीय मूक बधिर विद्यालय लोधा
80 बच्चे अध्ययनरत हैं विद्यालय में
50 बच्चे निवासरत छात्रावास में
30 छात्र
20 छात्राएं
24 घंटे सीखते हैं कुछ नया
उदयपुर संभाग का सबसे बड़ा विद्यालय
12वीं तक है
कितने बच्चे – 80
आवासीय विद्यालय

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