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बांसवाड़ा : कमीशन के चक्कर में टेण्डर प्रक्रिया फेल तो बिगड़ी व्यवस्था, आयोजन से भूखे लौटे संभागी

locationबांसवाड़ाPublished: Aug 25, 2019 12:39:47 pm

Submitted by:

deendayal sharma

बांसवाड़ा जिले की घाटोल पंचायत समिति में प्रशिक्षणों में एवं अन्य योजनाओं में भाग लेने वाले के अल्पाहार-भोजन व्यवस्था के लिए होने वाली निविदा में कमीशनखोरी का संदेह गहराया हुआ है।

बांसवाड़ा : कमीशन के चक्कर में टेण्डर प्रक्रिया फेल तो बिगड़ी व्यवस्था, आयोजन से भूखे लौटे संभागी

बांसवाड़ा : कमीशन के चक्कर में टेण्डर प्रक्रिया फेल तो बिगड़ी व्यवस्था, आयोजन से भूखे लौटे संभागी

बांसवाड़ा/घाटोल. प्रशिक्षणों में एवं अन्य योजनाओं में भाग लेने वाले के अल्पाहार-भोजन व्यवस्था के लिए होने वाली निविदा में घाटोल पंचायत समिति में कमीशनखोरी का संदेह उपज रहा है।
पंचायत समिति की ओर से एक दिन पहले निविदाएं आमंत्रित की गई और आनन-फानन में प्रक्रिया अपनाई, लेकिन मामला खटाई में पड़ गया और खमियाजा शनिवार को संभागियों को भुगतना पड़ा। पूरे मामले में विकास अधिकारी और लेखाकार की भूमिका संदेहास्पद नजर आ रही है।
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सूत्रों के अनुसार घाटोल पंचायत समिति ने 23 अगस्त को विज्ञप्ति जारी कर पंचायत समिति में विभिन्न प्रशिक्षणों में एवं अन्य योजनाओं में अल्पाहार-भोजन व्यवस्था के तहत निविदा आमंत्रित की। इसमें नियम-कायदे ताक पर रखकर एक ही दिन में टेण्डर की सभी प्रक्रिया अपनाने की कोशिश की। इस दौरान ठेकेदारों ने भी ‘पूल’ बनाने की कोशिश की, लेकिन शाम तक बात नहीं बनी और मामला उलझ गया। घटनाक्रम की जानकारी उच्चाधिकारियों तक पहुंची तो उनके निर्देश पर निविदा प्रक्रिया निरस्त कर दी।
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सिर्फ चाय-नाश्ता कराया
शनिवार को मीणा समाज संस्थान घाटोल के भवन में प्रधानमंत्री आवास योजना के अन्र्तगत देवदा, ठीकरिया चन्द्रावत, देलवाड़ा, घाटोल, कानजी का गढ़ा, चड़ला सहित आठ ग्राम पंचायतों 1075 लाभार्थियों को प्रशिक्षण देना था। सुबह प्रशिक्षण स्थल पर 11 बजे तक दस-बीस लाभार्थी ही मौजूद थे। दोपहर तक लाभार्थियों की संख्या बढ़ी, लेकिन निविदा नहीं होने से उन्हें भोजन नहीं दिया और सिर्फ चाय-नाश्ता ही कराया गया। हालांकि विकास अधिकारी की मौजूदगी में हुए प्रशिक्षण शिविर में कड़वा आमड़ी सरपंच कमलाकृष्ण मईड़ा, घाटोल सरपंच गौतम राणा सहित कई पंचायतों के सरपंच मौजूद रहे।
अधिकारी बोले
विकास अधिकारी हरिकेश मीणा का कहना है कि एक दिन पहले ही टेंडर आमंत्रित किया था। ठेकेदारों में सहमति नहीं बन पाई। उनका कहना था कि समय कम दिया है। बाद में टेंडर निरस्त कर दिया। संभागियों को भोजन नहीं दिया। चाय-नाश्ता ही कराया है।
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