पुलिस के अनुसार आरोपी ठगी का पहले से ही अभ्यस्त है। आरोपी पहले बांसवाड़ा की वागड़ समृद्धि में काम करता था। इसके चलते आरोपी घाटोल, पीपलखूंट, खमेरा, नरवाली, भूंगड़ा सहित अन्य कई इलाकों में बतौर एजेंट लोगों से रुपए एकत्रित किया करता था। साथ ही योजनाओं के झांसे में भी ग्रामीणों को लेता था। इसके बाद वहां से हटा तो आरोपी ने अपनी खुद की कंपनी खोल ली और उसी के माध्यम से ठगी का कारोबार करने लगा। ठगी जब बढ़ती चली गई और लोगों का रुपए वापस नहीं पहुंचने लगा तो कलई खुल गई और आरोपी घर से फरार हो गया।
पुलिस के अनुसार आरोपी संजय ने बांसवाड़ा में आलीशान ऑफिस खोल रखा था, जिसमें प्रतिमाह लाख रुपए का खर्चा होता था। इसके अलावा आरोपी ने सबसे ज्यादा ऐसे लोगों को अपनी ठगी का शिकार बनाया जो गरीब थे। इनमें सब्जी बिक्री करने वाले से लेकर ठेला गाड़ी चलाने वाले एवं अन्य लोग शामिल हैं। जो रिपोर्ट देने से भी कतरा रहे है। इसके अलावा आर्थिक रूप से समृद्ध लोगों को ऐसी लुभावनी स्कीम का झांसा देता कि वे आरोपी के जाल में फंस जाते थे और उक्त कंपनी में इन्वेस्ट कर देते थे।
आरोपी की गिरफ्तारी के साथ ही ठगी के शिकार हुए ग्रामीणों का जमावड़ा लग गया। पीडि़त हाथों में डायरियां एवं अन्य दस्तावेज थे। एक एक कर ग्रामीणों ने आरोपी की ठगी की दांस्ता बयां की। ग्रामीणों को समझाने में पुलिस को भी खासाी मशक्कत करनी पड़ी। ग्रामीणों ने बताया कि आरोपी संजय के खिलाफ खमेरा के अलावा प्रतापगढ़ में भी ठगी की वारदात का प्रकरण दर्ज हुआ है। आरोपी ने प्रदीप कलाल पुत्र मणीलाल कलाल, सुखलाल पंचाल, जयश्री पंचाल पत्नी ईशवर पंचाल, जीना पंचाल, दिलीप बुनकर, राखी दर्जी पत्नी रमेश, रंजना पत्नी पवन कुमार, वैशाली टेलर, जितेंद्र पण्डया सहित कई लोगों ने ठगी की शिकायत पुलिस को दी है।