विभाग के मुख्य लेखाधिकारी ने आयुक्त को भेजे पत्र में व्यापक निर्देश दिए हैं। इसमें राजस्थान नगरपालिका अधिनियम के अनुसार राज्य सरकार की स्वीकृति लेने के बाद ही नवीन आइटमों की खरीदी करने, आय के लक्ष्य की पूर्ति होने पर ही प्राथमिकता के आधार पर नियमानुसार व्यय करने के निर्देश दिए हैं। नई संपत्ति क्रय करने की सक्षम प्रशासनिक व वित्तीय स्वीकृति प्राप्त करके ही कार्रवाई करने को कहा है। इसके अतिरिक्त नगर परिषद की ओर से भूमि विक्रय मद में प्राप्त होने वाली आय में से सबसे पहले आवर्तक व्यय की पूर्ति की जाए और योजनाओं के विकास कार्यों में अंशदान उपलब्ध कराने पर ही शेष बची राशि में से विकास कार्य कराए जाएं।
नगर परिषद बोर्ड की बैठक 25 फरवरी को होनी थी, लेकिन उस दिन न सभापति पहुंची और न ही सत्तारूढ़ बोर्ड के पार्षद परिषद भवन आए थे। कांगे्रस के पार्षद ही बैठक के लिए पहुंचे थे। इसका प्रमुख कारण भाजपा पार्षदों की सभापति से नाराजगी था। कांगे्रस पार्षदों ने आरोप भी लगाया था कि भाजपा की आपसी खींचतान ने शहर के विकास का बंटाधार कर दिया है। दूसरी ओर भाजपा कार्यालय में पार्षदों ने वरिष्ठ पदाधिकारियों के सामने सभापति पर मनमर्जी के आरोप लगाते हुए कहा था कि बजट के लिए जो प्रस्ताव लिए हैं, उसमें पार्षदों की राय नहीं ली गई और न ही वार्डों में विकास के प्रस्ताव मांगे गए। इसके बाद भी कोई निर्णय नहीं होने पर पार्षद पार्टी कार्यालय से चले गए थे।
– नगर परिषद को आय के नवीन स्रोत विकसित कर निजी आय में वृद्धि के प्रयास करने होंगे।
– पुरानी वसूलियों पर ब्याज की वसूली के लिए भी प्रभावी कार्रवाई की जाए।
– अस्थायी अग्रिम की वसूली और समायोजन अविलंब किया जाए।
– विकास कार्यों की मेरिट बोर्ड से तय कर राशि का उपयोग किया जाए।