बांसवाड़ा

बांसवाड़ा नगर परिषद : पार्षदों और सभापति में विवाद के चलते निरस्त हुई थी बजट बैठक, आखिरकार राज्य सरकार से हुआ बजट का अनुमोदन

City Council Banswara : राज्य सरकार से हुआ नगर परिषद के बजट का अनुमोदन, सख्त निर्देश भी, आपसी तालमेल नहीं होने व विवादों के कारण नहीं हो पाई थी बजट बैठक

बांसवाड़ाAug 23, 2019 / 05:56 pm

Varun Bhatt

बांसवाड़ा नगर परिषद : पार्षदों और सभापति में विवाद के चलते निरस्त हुई थी बजट बैठक, आखिरकार राज्य सरकार से हुआ बजट का अनुमोदन

बांसवाड़ा. भारतीय जनता पार्टी के पार्षदों और सभापति के बीच विवाद के कारण फरवरी माह में निरस्त हुई बजट बैठक के बाद राज्य सरकार ने बांसवाड़ा नगर परिषद के वित्तीय वर्ष 2019-20 के करोड़ों रुपए के बजट का अनुमोदन कर दिया है। अनुमोदन के साथ ही सरकार ने परिषद आयुक्त को कई निर्देश भी दिए हैं। फरवरी के अंतिम सप्ताह में बैठक नहीं होने के कारण प्रस्तावित बजट को राज्य सरकार को भेजा गया था। जानकारी के अनुसार नगर परिषद का आय-व्यय अनुमान वर्ष 2019-20 तथा संशोधित आय-व्ययक अनुमान वर्ष 2018-19 बोर्ड से पारित नहीं हुआ था। इसके बाद नगर परिषद आयुक्त ने दोनों बजट अनुमान को राज्य सरकार को अनुमोदन के लिए भेजा था। कुछ दिनों पहले स्वायत्त शासन विभाग की ओर से बजट अनुमान को अनुमोदित कर दिया। इसमें परिषद की आय 7750.41 लाख रुपए, व्यय 6156.50 लाख और बचत 193.91 लाख रुपए बताई गई है।
यह दिए निर्देश
विभाग के मुख्य लेखाधिकारी ने आयुक्त को भेजे पत्र में व्यापक निर्देश दिए हैं। इसमें राजस्थान नगरपालिका अधिनियम के अनुसार राज्य सरकार की स्वीकृति लेने के बाद ही नवीन आइटमों की खरीदी करने, आय के लक्ष्य की पूर्ति होने पर ही प्राथमिकता के आधार पर नियमानुसार व्यय करने के निर्देश दिए हैं। नई संपत्ति क्रय करने की सक्षम प्रशासनिक व वित्तीय स्वीकृति प्राप्त करके ही कार्रवाई करने को कहा है। इसके अतिरिक्त नगर परिषद की ओर से भूमि विक्रय मद में प्राप्त होने वाली आय में से सबसे पहले आवर्तक व्यय की पूर्ति की जाए और योजनाओं के विकास कार्यों में अंशदान उपलब्ध कराने पर ही शेष बची राशि में से विकास कार्य कराए जाएं।
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नहीं हो पाई थी बजट बैठक
नगर परिषद बोर्ड की बैठक 25 फरवरी को होनी थी, लेकिन उस दिन न सभापति पहुंची और न ही सत्तारूढ़ बोर्ड के पार्षद परिषद भवन आए थे। कांगे्रस के पार्षद ही बैठक के लिए पहुंचे थे। इसका प्रमुख कारण भाजपा पार्षदों की सभापति से नाराजगी था। कांगे्रस पार्षदों ने आरोप भी लगाया था कि भाजपा की आपसी खींचतान ने शहर के विकास का बंटाधार कर दिया है। दूसरी ओर भाजपा कार्यालय में पार्षदों ने वरिष्ठ पदाधिकारियों के सामने सभापति पर मनमर्जी के आरोप लगाते हुए कहा था कि बजट के लिए जो प्रस्ताव लिए हैं, उसमें पार्षदों की राय नहीं ली गई और न ही वार्डों में विकास के प्रस्ताव मांगे गए। इसके बाद भी कोई निर्णय नहीं होने पर पार्षद पार्टी कार्यालय से चले गए थे।
यह भी करना होगा
– नगर परिषद को आय के नवीन स्रोत विकसित कर निजी आय में वृद्धि के प्रयास करने होंगे।
– पुरानी वसूलियों पर ब्याज की वसूली के लिए भी प्रभावी कार्रवाई की जाए।
– अस्थायी अग्रिम की वसूली और समायोजन अविलंब किया जाए।
– विकास कार्यों की मेरिट बोर्ड से तय कर राशि का उपयोग किया जाए।
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