जांच रिपोर्ट में इसे पद का दुरुपयोग एवं पंचायती राज नियमों के विपरित बताते हुए पंचायती राज अधिनियम 1994 की धारा 38 के तहत जनप्रतिनिधियों के विरुद्ध कार्रवाई की अनुशंसा की गई हैं।
पंचायती राज नियमों के अनुसार संबंधित पंचायती राज संस्था के सदस्य, कार्मिक एवं नजदीकी रिश्तेदारों की ओर से पंचायती राज संस्था में किसी भी निविदा में भाग नहीं लिया जा सकता है। न ही सामग्री व सेवा की आपूर्ति की जा सकती है। ग्राम पंचायत के अभिलेखों के निरीक्षण में सामने आया कि फर्म नमो इण्टर प्राइजेज, कोठारी बिल्डिंग मटैरियल, राठौड़ बिल्डिंग मटैरियल एवं कान्हा इलेक्ट्रिकल्स से लाखों की सामग्री क्रय की गई। इसमें एक फर्म वार्ड पंच दिलीप सावोत की है वहीं दूसरी अन्य फर्मे उप सरपंच दर्शना कोठारी के पति की है। इसके अलावा वार्ड पंच हिमेश उपाध्याय की ओर से ग्राम पंचायत में साफ-सफाई के लिए प्रति माह ठेका 30 हजार रुपए में लिया गया है।
ग्राम पंचायत को 16 अगस्त 16 को नाली सफाई एवं मलबा निस्तारण के लिए 83 हजार, 9 सितंबर 16 को बाउमावि मैदान सफाई कार्य के लिए 35 हजार, 28 जनवरी 17 को नाली सफाई व मलबा निस्तारण कार्य के लिए 20 हजार, 8 फरवरी 2017 को नाली सफाई व मलबा निस्तारण कार्य के लिए 13 हजार, 20 फरवरी 17 को नाली सुदृढ़ीकरण एवं मरम्मत कार्य के लिए 62 हजार, नाली सफाई एवं मलबा निस्तारण कार्य के लिए 85 हजार सहित करीब 17 कार्यों के लिए लाखों रुपए की सामग्री आपूर्ति की गई।