जन्माष्टमी आज : यहां बांसवाड़ा के तलवाड़ा कस्बे में दसवीं सदी से विराजमान हैं भगवान द्वारिकाधीश यह परम्परा आज भी समाज के कुछ घरों में निभाई जा रही है। पहले संसाधनों की कमी के कारण प्राकृतिक वनस्पतियों, घास, दूब आदि से सजावट की जाती थी, लेकिन अब सजावट की सामग्री की बहुलता है। ऐसे में आकर्षक झांकियां सजाई जा रही हैं। शुक्रवार को लाभकाली मंदिर में अलख भाई की ओर से झांकी सजाई गई, जिसमें कृष्ण जन्मस्थान, कंस की जेल, वासुदेव द्वारा यमुना को पार करने, निधि वन, कालियामर्दन, केशी वध, पूतना वध, अघासुर वध आदि को प्रदर्शित किया गया। वहीं दीनानाथ नागर की ओर से झांकी सजाई गई।
बांसवाड़ा : यहां साढ़े चार दशक से चल रहा दधि उत्सव का सफर, रघुनाथ मंदिर से हुई थी शुरूआत धूमधाम से मनाई जन्माष्टमीइधर, वडनग़रा नागर समाज की ओर से जन्माष्टमी हर्षोल्लास से मनाई गई। समाज सचिव डा. आशीष दवे ने बताया कि स्मार्त परम्परा के तहत भगवान कृष्ण के आगमन की प्रतीक्षा में एक दिन पहले जन्माष्टमी मनाई जाती है। इसी के तहत शुक्रवार को गोवद्र्धननाथ मंदिर में भगवान के श्रीविग्रह का मनोहारी शृंगार कर श्री गोपाल सहस्त्रनाम का पाठ व षोडशोपचार पूजन किया गया। समाजजनों ने घरों में झांकियां सजाई। रूदे्रश्वर स्थित राधाकृष्ण मंदिर में भी विशेष पूजा व महाआरती की गई।