खास दिन पर बच्चों के लिए तोहफा
संस्था का मानना है कि चाहे किसी का जन्म दिन हो या शादी की सालगिराह या फिर कोई और खास दिन। व्यक्ति ऐसा कुछ करना चाहता है जो औरों के लिए मददगार हो और खुद की आत्मसंतुष्टि का कारण बने। ऐसे में बच्चों के लिए खिलौने देने से बड़ा कोई और सुकून नही हो सकता। यह मुहिम केवल बांसवाड़ा तक ही सीमित नहीं रही है, वरन जयपुर , इलाहाबाद, उदयपुर , बैंगलूरू सहित अन्य कई प्रांतों से भी इसमें सहयोग मिल रहा है। संस्था के साथ जुड़े युवा भीे इसमें खिलौने जमा कर रहे हैं जिससे यह आशा जगी है कि बहुत जल्द इसमें इतने खिलौने जमा हो जाएंगे कि हर वंचित बच्चे के हाथ में खिलौने दिए जा सकेंगे।
संस्था का मानना है कि चाहे किसी का जन्म दिन हो या शादी की सालगिराह या फिर कोई और खास दिन। व्यक्ति ऐसा कुछ करना चाहता है जो औरों के लिए मददगार हो और खुद की आत्मसंतुष्टि का कारण बने। ऐसे में बच्चों के लिए खिलौने देने से बड़ा कोई और सुकून नही हो सकता। यह मुहिम केवल बांसवाड़ा तक ही सीमित नहीं रही है, वरन जयपुर , इलाहाबाद, उदयपुर , बैंगलूरू सहित अन्य कई प्रांतों से भी इसमें सहयोग मिल रहा है। संस्था के साथ जुड़े युवा भीे इसमें खिलौने जमा कर रहे हैं जिससे यह आशा जगी है कि बहुत जल्द इसमें इतने खिलौने जमा हो जाएंगे कि हर वंचित बच्चे के हाथ में खिलौने दिए जा सकेंगे।
तरह तरह के खिलौने
बैंक में हर उम्र के हिसाब से खिलौने जमा हो रहे हैं। छोटी कार से लेकर प्लास्टिक से बने क्रिकेट के बेट और बॉल। इसके अलावा गुडिय़ा, बस, ट्रेन, एम्बुलेंस, किचन सेट, रोबोट, एनिमल टॉय आदि कई तरह के खिलौने जमा हो चुके हैं। संस्थान की स्वाति जैन ने बताया कि बैंक बनाने के पीछे का मकसद यह है कि हम सब अमूमन घरों में भी देखते हैं कि बचपन में खिलौना ही बच्चे का सबसे अच्छा दोस्त होता है और वह हमेश उसको साथ रखता है उसके साथ खेलता है। लेकिन कुछ बच्चे इस आनन्द से वंचित होते हैं इसको देखते हुए इसकी शुरुआत की है।
बैंक में हर उम्र के हिसाब से खिलौने जमा हो रहे हैं। छोटी कार से लेकर प्लास्टिक से बने क्रिकेट के बेट और बॉल। इसके अलावा गुडिय़ा, बस, ट्रेन, एम्बुलेंस, किचन सेट, रोबोट, एनिमल टॉय आदि कई तरह के खिलौने जमा हो चुके हैं। संस्थान की स्वाति जैन ने बताया कि बैंक बनाने के पीछे का मकसद यह है कि हम सब अमूमन घरों में भी देखते हैं कि बचपन में खिलौना ही बच्चे का सबसे अच्छा दोस्त होता है और वह हमेश उसको साथ रखता है उसके साथ खेलता है। लेकिन कुछ बच्चे इस आनन्द से वंचित होते हैं इसको देखते हुए इसकी शुरुआत की है।