परिजन बच्चों एवं नवप्रसूता को लेकर चिकित्सालय के मातृ शिशु वार्ड में करीब साढ़े सात बजे पहुंच गए, लेकिन उन्हें भर्ती करने के लिए कोई चिकित्सक नहीं था, इसके चलते दो घंटे से भी अधिक समय तक वह एम्बुलेंस में ही रहने को मजबूर हुए। परिजन कार्यरत स्टॉफ से उन्हें भर्ती करने के लिए मिन्नतें करते रहे, लेकिन किसी का दिल नहीं पसीजा। इसके बाद करीब 10 बजे परिजनों के हंगामा करने पर चिकित्सालय प्रशासन ने आनन-फानन में बच्चों को एफबीएनसी वार्ड में भर्ती किया, वहीं प्रसूता को महिला वार्ड में भर्ती किया गया।
संक्रमण का था डर कुछ दिन पहले ही 53 दिनों में 90 बच्चों की मौत के चलते राष्ट्रीय स्तर पर महात्मा गांधी चिकित्सालय के सुर्खियों में रहने के बावजूद यहां के हालात सुधरने का नाम नहीं ले रहे हैं। नवजात बच्चों के पैदा होने के 48 घंटे का समय बहुत नाजुक माना जाता है और उनकी सार संभाल बहुत आवश्यक है। ऐसे में यदि उनको संक्रमण हो जाए तो उनका जीवन खतरे में पड़ जाता है। बावजूद इसके नवजात बच्चों को भर्ती नहीं किया जाना चिकित्सालय प्रशासन की अनदेखी को उजागर करता है।
केस एक-आबापुरा क्षेत्र में पेट दर्द से परेशान मरीज को 108 एम्बुलेंस से महात्मा गांधी चिकित्सालय में उपचार के लिए लाया गया, लेकिन चिकित्सक नहीं होने से काफी समय तक एम्बुलेंस में ही पड़ा रहा। न तो उपचार मिला और न ही किसी ने इसकी जांच की। मजबूरी में एम्बुलेंस से ही निजी चिकित्सालय में भर्ती होने को मजबूर हुआ।
केस दो-श्रीराम कॉलोनी निवासी गोकुलबाई का स्वास्थ्य शुक्रवार सुबह खराब हुई तो परिजन उसे महात्मा गांधी चिकित्सालय ले गए, लेकिन यहां चिकित्सक अवकाश पर थे तो किसी ने भी सुध नहीं ली। दोपहर 12 बजे यहां-वहां मिन्नते करने के बाद जैसे-जैसे उपचार मिला तो राहत मिली।
बांसवाड़ा. ऐसे कितने हन्ी मरीज शुक्रवार को सेवारत चिकित्सक संघ के आह्वान पर चिकित्सकों के सामूहिक अवकाश पर रहने के कारण परेशान हुए। चिकित्सकों के अवकाश पर होने की जानकारी नहीं होने से जो मरीज यहां पहुंचे उनको किसी तरह का उपचार नहीं मिला। आउटडोर में एक भी चिकित्सक नहीं था औरन् मरीज इधर-उधर भटकते रहे, लेकिन उनको देखने वाला कोई नहीं मिला।ं चिकित्सालय प्रशासन ने भी मरीजों को परामर्श देने के लिए कोई व्यवस्था नहीं की थी। इसके कारण आपात चिकित्सा की भी कोई व्यवस्था नहीं थी।
वार्डों में भी परेशान रहे मरीज वार्डों में भर्ती मरीजों को भी चिकित्सकों का परामर्श नहीं मिला। ं जिनकी छुट्टी शुक्रवार को होनी थी, वह भी चिकित्सकों की राह देखते रहे। नर्सिंग स्टॉफ ने पहले से चल रहा उपचार देकर मरीजों को राहत देने का प्रयास किया।
ऑपरेशन भी अटके जिन मरीजों को ऑपरेशन के लिए यहां भर्ती किया गया था उनका ऑपरेशन भी चिकित्सकों के सामूहिक अवकाश पर रहने के कारण टाल दिए गए। प्रमुख चिकित्सा अधिकारी डा दीपक नेमा ने बताया कि वह तो बैठक के लिए जयपुर आए हुए हैं एवं सूचना मिली है कि लगभग सभी चिकित्सक सामूहिक अवकाश पर रहे।