मीजल्स (खसरा) बच्चों में अपंगता और मृत्यु के बड़े कारणों में से एक है। यह बहुत संक्रामक रोग है। इससे प्रभावित बच्चे द्वारा खांसने और छीकने से रोग फैलता है। लक्षण की बात करें तो तेज बुखार, शरीर पर लाल चकत्ते पड़ जाते हैं। इसके अलावा खांसी, खारिस, नाक बहना, आंख लाल हो जाना आदि हैं। यह पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चे और वयस्कों 20 वर्ष से अधिक उम्र के बीच यह बहुत गंभीर रोग हो सकता है। इसके फैलने से डायरिया, निमोनिया और मस्तिष्क के संक्रमण की जटिलता की वजह से मौत भी हो सकती है। कम प्रतिरोधक क्षमता, कुपोषित बच्चों और विटामिन ए की कमी वाले व्यक्तियों का खसरे की संभावना रहती है।
यह संक्रमण गर्भवती को होता है, जिसका असर उसके गर्भ में पल रहे बच्चे पर होता है। चिकित्सा विभाग के अनुसार यदि गर्भवती रूबेला से संक्रमित है तो जन्मजात रूबेला सिंड्रोम विकसित हो सकता है। यह भ्रूण और नवजात के लिए घातक होता है। प्रारंभिक गर्भावस्था के दौरान रूबेल से संक्रमित माता से जन्मे बच्चे में दीर्घकालिक जन्मजात विसंगतियां से पीडि़त होने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं। इनमें जन्मजात मोतियाबिंद, बहरापन, मानसिक मंदता और दिल की बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। रूबेला से संक्रमित होने पर अकाल प्रसव और मृत प्रसव की भी संभावना बढ़ जाती है।
बच्चों में यह रोग आमतौर पर हल्का होता है, जिसमें खारिश, कम बुखार, मिचली और हल्के नेत्र शोध (कंजेक्टिविटीज) के लक्षण दिखाई पड़ते हैं। कान के पीछे और गर्दन में सूजी हुई गं्रथियों, सबसे विशिष्ट चिकित्सकीय लक्षण हो सकते हैं। संक्रमित वयस्क में ज्यादातर महिलाओं में गठिया रोग हो सकता है और जोड़ों में पीड़ा हो सकती है।
आरसीएचओ डॉ. नरेंद्र कोहली ने बताया कि दोनों बीमारियों में सावधानी जरूरी है। अभिभावक बच्चों के सर्दी जुकाम सरीखी समस्या होने पर नजरअंदाज न करें तत्काल चिकित्सक से संपर्क करें। प्रदेश में चलाए जाने वाले अभियान के तहत जिले में 9 माह से 15 वर्ष के बीच तकरीबन 6 लाख बच्चों को टीकाकरण किया जाएगा।