यह किए इंतजाम
जिलाध्यक्ष पाटीदार ने बताया कि वागड़ अंचल में बारिश के चलते बेणेश्वर धाम को जोडऩे वाले तीनों पुलों पर पानी की चादर थी। लेकिन, शनिवार सुबह तीन में से दो पुल साबला एवं गनोड़ा को जोडऩे वाले पुल पर से पानी उतर गया है। वहीं, वालाई पुल पर पानी की चादर चल रही है। ऐसे में पूर्व नियोजित स्थल आबुदर्रा के घाट पर ही पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की अस्थियां विधि-विधान के साथ विसर्जित हो सकेगी।
जिलाध्यक्ष पाटीदार ने बताया कि वागड़ अंचल में बारिश के चलते बेणेश्वर धाम को जोडऩे वाले तीनों पुलों पर पानी की चादर थी। लेकिन, शनिवार सुबह तीन में से दो पुल साबला एवं गनोड़ा को जोडऩे वाले पुल पर से पानी उतर गया है। वहीं, वालाई पुल पर पानी की चादर चल रही है। ऐसे में पूर्व नियोजित स्थल आबुदर्रा के घाट पर ही पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की अस्थियां विधि-विधान के साथ विसर्जित हो सकेगी।
बड़ी संख्या में लोग एकत्रित
बेणेश्वर धाम पर आबुदर्रा घाट के पास ही भाजपा संगठन की ओर से टेंट एवं कुर्सियां लगवाई गई हैं तथा डूंगरपुर एवं बांसवाड़ा दोनों ही जिलों से बड़ी संख्या में भाजपा कार्यकर्ता एवं आमजन एकत्रित होने शुरू हो गए हैं। लोगों की भीड़ बढऩे से प्रशासनिक अधिकारी भी एकत्रित हो गए हैं। मौके पर तहसीलदार शांतिलाल जैन, विकास अधिकारी राजेन्द्रसिंह आदि मौजूद थे।
बेणेश्वर धाम पर आबुदर्रा घाट के पास ही भाजपा संगठन की ओर से टेंट एवं कुर्सियां लगवाई गई हैं तथा डूंगरपुर एवं बांसवाड़ा दोनों ही जिलों से बड़ी संख्या में भाजपा कार्यकर्ता एवं आमजन एकत्रित होने शुरू हो गए हैं। लोगों की भीड़ बढऩे से प्रशासनिक अधिकारी भी एकत्रित हो गए हैं। मौके पर तहसीलदार शांतिलाल जैन, विकास अधिकारी राजेन्द्रसिंह आदि मौजूद थे।
वागड़ प्रयाग है बेणेश्वर धाम
जिला मुख्यालय से करीब 70 किलोमीटर दूर स्थित बेणेश्वर धाम सोम एवं माही नदियों का संगम स्थल है तथा कई पौराणिक शास्त्रों की इसकी महिमा का गान किया है। स्कंद पुराण में बेणेश्वर धाम को तीर्थराज की उपमा दी है। साथ ही भीम के पौत्र एवं घटोत्कच के पुत्र बर्बरिक के यहां तपस्या करने का भी उल्लेख है। स्वयं शनि देव एवं नारद मुनि ने भी यहां की उपासना करने पर अनंत फल प्राप्ति की बात कही है।
जिला मुख्यालय से करीब 70 किलोमीटर दूर स्थित बेणेश्वर धाम सोम एवं माही नदियों का संगम स्थल है तथा कई पौराणिक शास्त्रों की इसकी महिमा का गान किया है। स्कंद पुराण में बेणेश्वर धाम को तीर्थराज की उपमा दी है। साथ ही भीम के पौत्र एवं घटोत्कच के पुत्र बर्बरिक के यहां तपस्या करने का भी उल्लेख है। स्वयं शनि देव एवं नारद मुनि ने भी यहां की उपासना करने पर अनंत फल प्राप्ति की बात कही है।