विधायक ने कहा कि हॉस्टल के बच्चों को पोषाक के लिए बैंक खाते में पैसा दिया जाता था, उसे भी रोककर टेंडर कराए जा रहे हैं। जो जनजाति बच्चों के साथ खिलवाड़ हैं। सिंचाई सुविधा के लिए स्वीकृत लिफ्ट योजनाएं भी रोक दी है। जनजाति कृषकों को कृषि कनेक्शन के लिए दिए जाने वाले 25 हजार रुपए 14 माह से नहीं दिए गए हैं। एक भी हैंडपंप स्वीकृत नहीं किया जा रहा है। इसके लिए मुख्यमंत्री से भी मुलाकात की थी। उन्होंने आश्वस्त भी किया था, लेकिन स्वीकृतियां जारी नहीं हुई। मीणा ने कहा कि वागड़ प्रयाग बेणेश्वर धाम पर डूंगरपुर और बांसवाड़ा जिलों के छोर पर दो संत मावजी स्वागत द्वार भी स्वीकृत किए गए थे, लेकिन आज तक उनका अता-पता नहीं है।