हिन्दी लेखन में हिम्मतलाल तरंगी, मणि बावरा, भूपेंद्र उपाध्याय तनिक, धनपतराय झा, डा. शंकरलाल त्रिवेदी, डा. नवीनचंद्र याग्निक, वीरबाला भावसार, अशोक पंड्या, भरतचंद्र शर्मा, घनश्यामसिंह भाटी, कृष्णा भावसार, डा. निर्मला शर्मा, डा. दीपकदत्त आचार्य, हरिहर झा, सुमित्रा मेहता, प्रकाश पंड्या प्रतीक, बिस्मिल नक्शबंदी, सईद रोशन, दिनेश पंचाल, नीता चौबीसा, दीपिका द्विवेदी दीप, आभा मेहता आदि ऐसे नाम हैं, जिन्होंने इस अंचल में हिन्दी रचनाधर्मिता को देश-विदेश तक पहुंचाकर मान बढ़ाया है। समय-समय पर विभिन्न साहित्यिक संस्थाओं के माध्यम से प्रकाशित होने वाले काव्य संग्रहों और काव्य गोष्ठियों ने भी अंचल के साहित्यकारों के हिन्दी प्रेम को सार्वजनीन किया है।
अंचल के रचनाकार वर्तमान दौर में साहित्य और तकनीकी के संगम से हिन्दी का प्रचार-प्रसार इसे प्रतिष्ठित कर रहे हैं। युवा रचनाकारों के साथ ही वरिष्ठ साहित्यकार भी सोशल मीडिया पर साहित्यिक समूह बनाकर अपनी हिन्दी रचनाधर्मिता को नए आयाम देने में जुटे हुए हैं। वहीं फेसबुक जैसी आभासी दुनिया पर बने साहित्यिक समूहों में सतत हिन्दी की सेवा कर रहे हैं। वर्तमान में हिन्दी साहित्य सेवा की जो गति है, उससे स्पष्ट है कि अंचल में हिन्दी का साहित्यिक सफर अनवरत बना रहेगा।