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8 नवंबर को हुई थी नोटबंदी, इस बार ये फैसला मचा देगा हड़कंप

locationबाराबंकीPublished: Nov 07, 2017 02:50:27 pm

8 नवंबर 2016 की नोटबंदी के बाद अब होने जा रहा है ये बड़ा काम …

8 November 2017 ko kya hai

Industrial start up in down in UP due to note bandi

लखनऊ. 8 नवंबर फिर से आ रहा है। 8 नवंबर याद है न आपको? जी हां, सही पकड़ा आपने। तारीख 8 नवंबर 2016, दिन मंगलवार और समय था रात 8 बजे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अचानक देश का सबसे बड़ा फैसला या कहें एक क्रांतिकारी ऐलान करते हुए 500 और 1000 के नोटों को बैन कर दिया था। अब आने वाली 8 नवंबर 2017 दिन बुधवार को पीएम मोदी के उसी फैसले को एक साल पूरे होने जा रहे हैं। कुछ लोग तो 8 नवंबर को भूल गये होंगे, लेकिन कुछ लोग जिंदगी भर नहीं भूले सकेंगे।
अच्छे से याद है 8 नवंबर

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस ऐतिहासिक फैसले के लगभग 50 दिनों तक पूरे पूरे देश में अफरा-तफरी का माहौल था। लखनऊ की गृहणी प्रियंका खरे से जब नोटबंदी के दौर के बारे में बात की गई तो उन्होंने बताया कि मुझे वह दिन अच्छे से याद हैं जब हर ATM और बैंक के सामने रात 12 बजे से ही लंबी लाइनें लगने लगती थीं। उन्होंने बताया कि मेरे रिश्तेदार के घर बेटी की शादी थी शादी थी और उस समय हन लोगों को क्या-क्या नहीं करना पड़ा था। सिर्फ हमें ही नहीं पूरे देश में लोगों को नकदी के चक्कर में कहां-कहां नहीं चक्कर लगाने पड़े थे। वहीं हरदोई के हरिओम द्विवेदी ने बताया कि आज भी हम लोग नोटबंदी के उस दौर को याद करतें हैं तो कहीं न कहीं वे नजारे हमारी आंखों के सामने जिंदा हो जाते हैं और थोड़ी देर के लिए सही लेकिन सभी सोच में जरूर पड़ जाते हैं। उन्होंने कहा कि नोटबंदी का फैसला कितना सही था और कितना गलत ये तो मुझे नहीं पता, लेकिन उस समय हमें अच्छी- खासी परेशानी का सामना करना पड़ा था। खैर अब हमारा जन-जीवन सामान्य है। वहीं कानपुर देहात के अरविंद वर्मा से जब 8 नवंबर के बारे में पूछा गया तो उन्होंने थोड़ा लड़खड़ाते लफ्जों में कहा कि मेरे मन में बैठा डर दोबारा नया रूप ले रहा है। मैं ये सोचता रहता हूं कि इस बार 8 नवंबर को ऐसा कौन सा फैसला होने वाला है।
देश में थे सिर्फ नोटबंदी के ही चर्चे

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्र के नाम संबोधन में ऐलान किया था कि 8 नवंबर 2016, मंगलवार को आधी रात से 500 और 1000 रुपये के नोट रद्दी हो जाएंगे। उन्होंने कहा था कि ये फैसला जाली नोटों और काले धन पर लगाम लगाने के उद्देश्य से लिया गया है। इस फैसले में कहा गया था कि जिनके पास 500 या 1000 रुपये के नोट हैं वे लोग 30 दिसंबर 2016 दिन शुक्रवार तक इन्हें अपने पास के बैंक या डाकघर में जमा करा दें या इन्हें बदल दें। नोटबंदी के इस ऐलान के बाद ऐसा हड़कंप मचा कि देश में लगातार सुर्खियों में रहने वाले कई मुद्दे जैसे कहीं नदारद ही हो गए। नोटबंदी के आगे न तो उन मुद्दों पर पहले की तरह संजीदगी से चर्चा ही हो रही थी और न ही इनको उतनी मजबूती से कोई बता रहा था। देश के हर अखबार, न्यूज चैनल, तमाम बेवसाइट और गली-मोहल्लों में सिर्फ नोटबंदी के ही चर्चे थे। बाकी सारे बड़े मुद्दे जो काफी जोर-शोर से चल रहे थे और सुर्खियों में शामिल थे, आठ नवंबर के बाद आम चर्चाओं से जैसे खत्म ही हो गए थे।
आमने-सामने पूरा पक्ष-विपक्ष

नोटबंदी के समय तमाम बीजेपी विरोधी राजनीतिक दलों ने पीएम मोदी के इस फैसले को गलत करार दिया था। विपक्ष ने इस फैसले को सदी का सबसे बड़ा घोटाला करार दिया तो केंद्र सरकार के समूचे मंत्रियों के साथ-साथ बीजेपी का हर नेता पीएम मोदी के इस फैसले को सही ठहराने में जुटा रहा। बीजेपी नेताओं ने इस फैसले को देश की जनता के लिए हितकारी बताया। विपक्ष एक ओर जहां नोटबंदी को देश का सबसे खराब फैसला मान रहा था तो सरकार की ओर से इसे कालेधन के खिलाफ सबसे बड़ी कार्रवाई बता रही थी। हालांकि अभी तक यह साफ नहीं हो पाया कि इस फैसले के बाद से सरकार को कितना काला धन मिला है। हालांकि इन सब बहसों के बीच जब उत्तर प्रदेश का चुनाव हुआ तो आम जनता ने इस फैसले पर मुहर पर अपनी लगा दी और यूपी विधानसभा चुनाव में बीजेपी को प्रचंड बहुमत मिला।
इस बार 8 नवंबर को क्या?

अब जैसे-जैसे 8 नवंबर की तारीख वापस आ रही है, राजनीति एक बार फिर से गरमा रही है। कांग्रेस की अगुवाई में विपक्ष एक बार फिर से इस मुद्दे को उठाने जा रही है। कांग्रेस की अगुवाई में समूचा विपक्ष यूपी समेत पूरे देश में 8 नवंबर को काला दिवस मनाने जा रहा है। वहीं बीजेपी भी विपक्ष को मुहतोड़ जवाब देने की प्लानिंग कर चुकी है। नोटबंदी के एक साल पूरे होने पर बीजेपी एंटी ब्लैक मनी डे मनाएगी। देश भर में काले धन के खिलाफ मुहिम चलाने के लिए मोदी कैबिनेट के मंत्रियों की ड्यूटी भी लगा दी गई है। कुल मिलाकर मतलब साफ है कि 8 नवंबर को फिर से एक बार राजनीति का दंगल सजेगा और उसमें पक्ष-विपक्ष के नेता एक दूसरे को पटखनी देते नजर आएंगे। बीजेपी एक बार फिर से वही लकीर खींचने की कोशिश करेगी जो वह यूपी चुनाव के समय खींच पाने में कामयाबी हुई थी। अगर बीजेपी ऐसा कर पाई तो निश्चित तौर पर 2019 से पहले उसे उत्तर प्रदेश समेत पूरे देश में एक बड़ा माइलेज मिलेगा।
8 नवंबर की क्या है तैयारी?

वहीं कांग्रेस के राज्यसभा सांसद पीएल पुनिया ने कहा कि 8 नवंबर को कांग्रेस काला दिवस मनाएगी। कांग्रेस के तमाम नेता और कार्यकर्ता इसमें शामिल होंगे। पुनिया ने कहा कि मोदी सरकार के नोटबंदी व जीएसटी के गलत फैसलों के कारण सबसे ज्यादा लोग यूपी में प्रभावित हुए। पहले तो नोटबंदी ने गरीब, मजदूर व मध्यम वर्ग की कमर तोड़ी जिसके कारण न सिर्फ लाखों लोग बेरोजगार हुए, बल्कि इनको पलायन करने पर मजबूर होना पड़ा। वहीं अब जीएसटी ने छोटे-छोटे उद्योग धंधा करने वाले व्यापारियों की कमर तोड़ दी और उनके साथ गरीब मजदूर भी बेरोजगार हो गए। इसके अलावा आम लोगों को भी भारी दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है। वहीं बाराबंकी की हैदरगढ़ सीट से विधायक बैजनाथ रावत ने कहा की बीजेपी इस बार 8 नवंबर को काला धन विरोधी दिवस मनाएगी। रावत ने पीएम मोदी के नोटबंदी के फैसले को सही बताते हुए विपक्षियों को आड़े हाथों लिया। उन्होंने कहा कि ये सरकार की ओर से कालेधन के खिलाफ सबसे बड़ी कार्रवाई थी। इस फैसले का असर यूपी विधानसभा चुनाव- 2017 में साफ देखने मिला। पूरे यूपी की जनता ने मोदी सरकार के फैसले का स्वागत किया और बीजेपी को विधानसभा चुनाव में प्रचंड बहुमत दिया। हमें जनता के अलावा किसी और से किसी तरह का सर्टिफिकेट नहीं चाहिए।

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