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नसबंदी के बाद भी ये महिला हुई थी गर्भवती, हाइकोर्ट ने दिए निर्देश, मुआवजे पर विचार करे सरकार

locationबाराबंकीPublished: Apr 17, 2018 08:03:20 am

कुसुमा ने बताया था कि बाराबंकी के सरकारी अस्पताल में साल 2014 में उसने नसबंदी कराई थी…

Allahabad High Court on lady pregnant after nasbandi Barabanki

नसबंदी के बाद भी ये महिला हुई थी गर्भवती, हाइकोर्ट ने दिए निर्देश, मुआवजे पर विचार करे सरकार

बाराबंकी. उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले में रहने वाली एक महिला नसबंदी के बाद भी गर्भवती हो गई और उसने एक लड़की को जन्म दिया। जिसके बाद उसने मुआवजे के लिए विभाग में आवेदन किया था। लेकिन आवेदन करने में देरी की वजह से उसे मुआवजा नहीं दिया गया। उसी मामले में अब इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सरकार को निर्देश दिए हैं।
मुआवजा देने पर हो विचार

नसबंदी के बावजूद बच्चा होने के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने स्वास्थ्य एवं परिवार नियोजन विभाग के सचिव को याचिकाकर्ता को मुआवजा देने पर विचार करने का निर्देश दिया है। इस मामले में सरकार का तर्क था कि महिला को मुआवजा पाने के लिए 90 दिन के भीतर आवेदन करना होता है, लेकिन वह इसमें वह लेट हो गई थी।
मुआवजा देने से किया था इनकार

वहीं याचिकाकर्ता कुसुमा ने बताया था कि बाराबंकी के सरकारी अस्पताल में साल 2014 में उसने नसबंदी कराई थी। उसके बावजूद भी वह गर्भवती हो गई और उसने एक लड़की को जन्म दिया। नसबंदी फेल होने के बाद कुसुमा ने प्रदेश सरकार की मुआवजा स्कीम के तहत मुआवजे के लिए आवेदन किया था। लेकिन विभाग ने इसे नकार दिया इसके लिए 90 दिन बाद दावा करने का तर्क दिया था। इसकी कुसुमा को अपात्र माना गया।
योग्यता के हिसाब से हो विचार

हाईकोर्ट में जस्टिस गोविंद माथुर और जस्टिस इरशाद अली ने सुनवाई के बाद कहा कि याचिकाकर्ता महिला समाज के निचले तबके से ताल्लुक रखती है। ऐसा हो सकता है कि उसके लिए निश्चित समय के अंदर आवेदन करने में कुछ समस्याएं आई हों या उसे इसके बारे में देर से जानकारी मिली हो। जस्टिस ने कहा कि सामने आए मामले के तथ्यों के आधार पर ही ठीक होगा कि विभाग के दावे पर देरी के बजाय योग्यता के अनुसार विचार करे। इसके लिए उसे एक महीने की मोहलत दी जाती है।
ये है मुआवजे का नियम

आपको बता दें कि महिला अगर नसबंदी के बाद भी बच्चे को जन्म देती है तो सरकार उसे प्रसव होने पर तीस हजार रुपए मुआवजे के तौर पर देती है। इस अलावा नसबंदी कराने के एक हफ्ते के अंदर अगर महिला की मौत हो जाती है तो परिवार को दो लाख रुपए का मुआवजा मिलता है। वहीं अगर नसबंदी कराने के एक महीने के अंदर महिला को कोई रोग या उसकी मौत हो जाती है तो उसे सरकार पचास हजार रुपए का मुआवता देती है।
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