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सपा का गढ़ रही इस लोकसभा सीट पर बीजेपी ने किया था बड़ा करिश्मा, इस बार कांग्रेस देगी कांटे की टक्कर

locationबाराबंकीPublished: Apr 02, 2019 11:40:43 am

बाराबंकी लोकसभा सीट पर कांग्रेस से तनुज पुनिया, बीजेपी से उपेंद्र रावत और सपा-बसपा गठबंधन से राम सागर रावत उम्मीदवार हैं…

Barabanki Lok Sabha constituency 2019 Election Uttar Pradesh

सपा का गढ़ रही इस लोकसभा साीट पर बीजेपी ने किया था बड़ा करिश्मा, इस बार कांग्रेस भी देगी कांटे की टक्कर

बाराबंकी . उत्तर प्रदेश की राजधानी से सटी 53वीं लोकसभा सीट बाराबंकी अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है। मौजूदा समय में इस सीट पर बीजेपी का कब्जा है। जबकि एक दौर में बाराबंकी कांग्रेस का मजबूत गढ़ हुआ करता था, लेकिन वक्त के साथ सपा और बीजेपी इस इलाके में अपना आधार मजबूत करने में सफल रही है। बाराबंकी सीट पर 2019 के लोकसभा चुनाव के लिए कांग्रेस ने पीएल पुनिया के बेटे तनुज पुनिया को उतारा है। जबकि सपा ने राम सागर रावत और बीजेपी ने जैदपुर विधानसभा से विधायक उपेंद्र रावत पर दांव खेला है।

त्रिकोणीय मुकाबले की उम्मीद

बाराबंकी लोकसभा सीट पर अब तक 17 बार चुनाव हुए हैं। इनमें 5 बार कांग्रेस को जीत मिली, जबकि चार बार सपा, दो बार बीजेपी और एक बार बसपा को जीत मिली है। समाजवादी पार्टी के रामसागर रावत लगातार तीन बार यहां से जीतकर सांसद पहुंचे, लेकिन 1998 के आमचुनावों में बीजेपी के बैजनाथ रावत ने रामसागर रावत को हराकर पहली बार कमल खिलाने में कामयाब रहे. लेकिन 1999 में हुए आम चुनावों में सपा के रामसागर रावत ने बीजेपी के बैजनाथ रावत को हराकर अपनी पिछली हार का बदला ले लिया। 25 साल के बाद 2009 में कांग्रेस की वापसी पीएल पुनिया ने कराई, लेकिन बीजेपी ने 2014 में प्रियंका सिंह रावत को उतारकर जीत दर्ज की। लेकिन इस बार बाराबंकी लोकसभा सीट पर त्रिकोणी मुकाबला होने की उम्मीद है।

बाराबंकी सीट का इतिहास

1952-57 – मोहन लाल सक्सेना, कांग्रेस (पहला आम चुनाव)
1957-62 – रामसेवक यादव, निर्दलीय
1962-67 – रामसेवक यादव, सोशलिस्ट पार्टी
1967-71 – रामसेवक यादव, संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी
1971-77 – रुद्र प्रताप सिंह, कांग्रेस
1977-80 – रामकिंकर रावत, जनता पार्टी
1980-84 – रामकिंकर रावत, भारतीय लोकदल
1984-89 – कमला प्रसाद रावत, कांग्रेस
1989-91 – रामसागर रावत, जनता दल
1991-96 – रामसागर रावत, सपा
1996-98 – रामसागर रावत, सपा
1998-99 – बैजनाथ रावत, भाजपा
1999-2004 – राम सागर रावत, सपा
2004-2009 – कमला प्रसाद रावत, बसपा
2009-2014 – पीएल पुनिया, कांग्रेस
2014-अबतक- प्रियंका सिंह रावत, बीजेपी

बाराबंकी का प्रमुख जातीय समीकरण

ब्राम्हण 10.75%
क्षत्रिय 9.75%
कायस्थ 2.21%
वैश्य 2.083%
मुस्लिम 19%
अन्य सामान्य 3.61%
यादव 12.5%
कुर्मी 10.83%
लोधी 0.8%
मौर्य 2.5%
कहर 0.5%
गड़रिया 0.12%
निषाद 0.6%
अन्य पिछड़ा 1.75%
चमार 7.66%
रावत 11%
अन्य 1.91%


बाराबंकी के मतदाताओं पर एक नजर

कुल मतदाता- 22,16,172
पुरुष मतदाता- 11,82,825
महिला मतदाता- 10,33,276
पहली बार बने मतदाता- 20,497

मतदाता प्रतिशत

– पुरुष मतदाता- 53 फीसदी
– महिला मतदाता- 46 फीसदी


बाराबंकी की आबादी (हिंदू व मुस्लिम)

– 76 प्रतिशत आबादी हिंदू
– 22 प्रतिशत आबादी मुस्लिम


आबादी (शहरी व ग्रामीण)
– ग्रामीण आबादी- 89.85 फीसदी
– शहरी आबादी- 10 फीसदी


साक्षरता दर

– औसत साक्षरता दर- 61.75 फीसदी
– पुरुषों की साक्षरता दर- 70.27 फीसदी
– महिलाओं की साक्षरता दर- 52.34 फीसदी


बाराबंकी लोकसभा क्षेत्र में विधानसभा
– बाराबंकी
– कुर्सी
– रामनगर
– जैदपुर (आरक्षित)
– हैदरगढ़ (आरक्षित)
– दरियाबाद


2019 के लोकसभा प्रत्याशी

कांग्रेस- तनुज पुनिया

– कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और यूपी के पूर्व मुख्य सचिव पीएल पुनिया के पुत्र
– तनुज पुनिया ने पिछली बार बाराबंकी की जैदपुर विधानसभा लड़ा था चुनाव
– प्राचीन भारतीय इतिहास में लखनऊ यूनिवर्सिटी से पीएचडी
– बाराबंकी में लगातार सक्रिय है और लगातार कर रहे जनसंपर्क
भाजपा- उपेंद्र रावत

– बाराबंकी की आरक्षित जैदपुर विधानसभा सीट से विधायक
– उपेंद्र रावत मोहनलालगंज के सांसद कौशल किशोर के करीबी
– पारस महासंघ के राष्ट्रीय महामंत्री भी हैं उपेंद्र रावत
– पासी समाज में भी उपेंद्र रावत की गहरी पैठ
– क्षेत्र में बनाई ईमानदार और कर्मठ नेता की छवि

सपा-बसपा गठबंधन- रामसागर रावत

– रामसागर रावत समाजवादी पार्टी में काफी पुराने नेता
– मुलायम सिंह यादव के साथ के समाजवादी नेता
– रामसागर रावत रावत चार बार रह चुके सांसद


लोकसभा क्षेत्र बाराबंकी के मुद्दे
– जिले की बंद पड़ी सूत मिल
– जिले की खस्ता हाल बुढ़वल चीनी मिल
– बाराबंकी जिला शहरीकरण से दूर
– युवाओं के लिए उच्च शिक्षण संस्थान की कमी
– सरकारी अस्पताल में ट्रामा सेंटर की बिल्डिंग बनने के बावजूद उसका शुरू न होने
– शहर के प्रमुख चौराहों पर रोजाना लगने वाला जाम।
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