scriptयूपी में पहली बार टेस्ट ट्यूब टेक्नोलॉजी से जन्मे गाय के बच्चे | Calves and Heifers born with Test tube Technique for First time in UP | Patrika News

यूपी में पहली बार टेस्ट ट्यूब टेक्नोलॉजी से जन्मे गाय के बच्चे

locationबाराबंकीPublished: Aug 06, 2022 01:54:39 pm

Submitted by:

Karishma Lalwani

पशुपालन विभाग में बाराबंकी जिले में पशुओं में नस्ल सुधार के लिए प्रयोग के तौर पर प्रयोगशाला स्थापित की है। यहां पर अच्छी किस्म की गाय और सांडों पर प्रयोग किया गया। प्रयोगशाला में मुख्य रूप से मल्टी ओवुलेशन एम्ब्रयो तकनीक का प्रयोग किया जा रहा है।

Calf

File Photo of Calf

राष्ट्रीय गोकुल मिशन पर काम कर रहे पशुपालन विभाग को बड़ी कामयाबी हाथ लगी है। प्रदेश में पहली बार टेस्ट ट्यूब तकनीक यानी कि विट्रो फर्टीलाइजेशन तकनीक से दो बछिया और दो बछड़े को जन्म दिया गया है। चारों पूरी तरह स्वस्थ हैं। यह प्रयोग 53 गायों पर किया गया था। इनमें चार पर सफलता मिली है।
पशुपालन विभाग ने लखनऊ से सटे बाराबंकी जिले में पशुओं में नस्ल सुधार पर प्रयोग के लिए प्रयोगशाला स्थापित की है। यहां अच्छी नस्ल की गायों और सांडों पर प्रयोग किया जा रहा है। मल्टी ओवुलेशन एम्ब्रयो ट्रांसफ़र तकनीक से नस्ल सुधार पर काम किया जा रहा है। प्रयोगशाला में मुख्य रूप से मल्टी ओवुलेशन एम्ब्रयो ट्रांसफ़र तकनीक (एमओईटी) से नस्ल सुधार पर काम किया जा रहा है। इसमें गाय के गर्भाशय में ही भ्रूण डेवलप किया जाता है। इसके बाद उसे पूरी तरह से स्वस्थ गाय में प्रत्यारोपित किया जाता है। भ्रूण जब लोग करने वाली गाय को डोनर और भ्रूण धारण करने वाली गाय को सरोगेट कहा जाता है।
53 गायों पर प्रयोग, 4 पर सफलता

एमओईटी में सफलता के बाद यहां के विशेषज्ञों ने 53 गायों पर प्रयोग किया जिनमें से चार पर सफलता मिली। 53 गायों के भ्रूण तैयार किए गए। इनमें 4 ने चार बच्चों को जन्म दिया। इस तकनीक पर काम करने वाले डॉक्टर संतोष यादव कहते हैं कि इस विधि में टेस्ट ट्यूब को विकसित किया जाता है और उसे गाय के गर्भाशय में प्रत्यारोपित करते हैं। फिलहाल यह प्रयोग साहीवाल नस्ल की गाय पर किया जा रहा है।
कौन होती है साहीवाल नस्ल की गाय

भारत के हरियाणा पंजाब और सिंध प्रांत के क्षेत्रों में पाई जाने वाली साहीवाल नस्ल की गाय सबसे अधिक दूध देने वाली मानी जाती हैं। इनके दूध में जर्सी और साधारण गाय से अधिक मात्रा में चिकनाहट पाई जाती है। इसलिए किसान ज्यादातर मुनाफे के लिए इन गायों को पालते हैं।
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