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अयोध्या के दीपोत्सव से पूर्व बाराबंकी के दीपोत्सव की दिखी अनुपम छटा

locationबाराबंकीPublished: Nov 08, 2020 11:51:45 am

जिले जीआईसी परिसर में दीपोत्सव का कार्यक्रम जिला प्रशासन और पुलिस ने आयोजित किया। जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक की मौजूदगी में उनके हाथों से दियों को प्रज्ज्वलित किया गया।

अयोध्या के दीपोत्सव से पूर्व बाराबंकी के दीपोत्सव की दिखी अनुपम छटा

अयोध्या के दीपोत्सव से पूर्व बाराबंकी के दीपोत्सव की दिखी अनुपम छटा

बाराबंकी. जिले जीआईसी परिसर में दीपोत्सव का कार्यक्रम जिला प्रशासन और पुलिस ने आयोजित किया। जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक की मौजूदगी में उनके हाथों से दियों को प्रज्ज्वलित किया गया। यह दिए एक ऐसे गांव में निर्मित किये गए हैं जो अवैध शराब के निर्माण के लिए जाना जाता था। बाराबंकी के पुलिस अधीक्षक की पहल पर इस गांव की महिलाओं ने अवैध शराब के धंधे को छोड़कर सम्मानजनक काम से जुड़ने का फैसला किया। उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से भी इस गांव को दियों की बड़ी खेप दिए जाने का आर्डर प्राप्त हुआ है। जिनका प्रज्ज्वलन अयोध्या के दीपोत्सव कार्यक्रम में मुख्यमंत्री स्वयं करेंगे।
अवैध शराब के धंधे को रोकना चैलंज था

बाराबंकी के पुलिस अधीक्षक डॉक्टर अरविन्द चतुर्वेदी ने बताया कि मैंने देखा कि अवैध शराब के धंधे को रोकना हमेशा यहां एक चैलेंज रहा है और बार-बार एक ही गांव में दबिश होना और बरामदगी होना, इस बात को दर्शाता था कि यहां कोई अन्य रोजगार नहीं है। बाराबंकी के जिलाधिकारी के साथ हमने एक योजना बनाई और लगातार चार हफ्तों तक वहां चौपाल लगा कर लोगों को समझाया और मधुमक्खी पालन जो वहां के वातावरण को देखते हुए सबसे अच्छा काम है, उसको करने के लिए लोगों को प्रेरित किया। लेकिन सिर्फ मधुमक्खी पालन से काम नही चल सकता था। इसलिए इन्हें दीपावली को देखते हुए दिए बनाने की ट्रेनिंग दिलवाई गयी और आज वहां बड़े आर्डर मिल रहे हैं।
सकारात्मक प्रयासों से भी रोके जा सकते हैं अवैध काम

बाराबंकी के जिलाधिकारी डॉक्टर आदर्श सिंह ने बताया कि हमारा जनपद अवैध शराब के धंधे के चलते काफी बदनाम हो चुका था और पिछले दिनों यहां बड़ी दुखद घटनाएं भी हो चुकी थीं। हमारे कप्तान साहब ने यहां एक नयी सोंच डेवलप की और जो चैनपुरवा गांव अवैध शराब के धंधे में लिप्त था, वहां जाकर लोगों से बात की कि वह क्यों ऐसा काम करते है और कौन सा ऐसा काम है जो वह करके इस अवैध काम को छोड़ सकते हैं। इस क्रम में उनसे मधुमक्खी पालन और दियों के निर्माण का काम शुरू करवाया और इसके लिए उन्हें ट्रेनिंग भी दिलवाई। आज वहां की महिलाएं समूह बनाकर सम्मानजनक कार्य कर रही है और इस काम को आगे बढ़ाने के लिए हम और भी सहयोग करने को तैयार हैं। कप्तान साहब ने अपनी सोच से यह सिद्ध किया है कि सिर्फ कठोर और विधिक कार्यवाही ही विकल्प नहीं होता बल्कि सकारात्मक प्रयासों के दम पर भी अवैध काम रोके जा सकते हैं।
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