जिला प्रशासन के लिए गांव में राशन कोटे की दुकानों का चयन भी अब आसान नहीं रह गया है और उसका मुख्य कारण है कि राशन कोटे की दुकानों को लोग पैसा कमाने का जरिया समझ बैठे हैं। हमेशा से ही यह आरोप कोटेदारों पर लगते रहे हैं कि कोटेदार गरीबों को मिलने वाला राशन बेच डालते हैं। ऐसी शिकायतों के बाद राशन कोटे की दुकानों को निलंबित करके उनके चयन के लिए खुली बैठक बुलाई जाती है जिसमें सभी की सहमति से कोटा दिया जाता है।
बाराबंकी के जहांगीराबाद थाना क्षेत्र के छुलहा गांव में जिलाधिकारी के आदेश के बाद एक खुली बैठक बुलाई गई थी जिसमें पर्यवेक्षक के अलावा ग्राम विकास अधिकारी राजेश व एडीओ समाज कल्याण को कोटा चयन के लिए बतौर कमेटी नामित किया गया था। गांव के कोटे की दुकान के लिए गांव के त्रिभुवन यादव व चंद्रिका प्रसाद आमने सामने थे और खुली बैठक में दोनों पक्षों के समर्थक भी मौजूद थे। कोटे के दावा पेश करने के बाद ग्राम विकास अधिकारी राजेश कुमार वोटों की गिनती कर ही रहे थे कि अचानक त्रिभुवन यादव पक्ष के लोगों ने यह कहकर राजेश कुमार को हाथ पैर और जूतों से पीटना शुरू कर दिया।
वीडीओ राजेश कुमार चंद्रिका प्रसाद के पक्ष से मिल गए हैं। किसी तरह राजेश कुमार मौके से जान बचाकर भाग निकले। पुलिस ने वीडीओ राजेश कुमार की तहरीर पर त्रिभुवन यादव और उसके 3 समर्थकों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया है।