scriptआज किसानों का आंदोलन वह लोग कर रहे, जो कभी खेत में गए ही नहीं, भाजपा उपचुनाव में हमें भी दे सम्मानजनक सीटें: डॉक्टर संजय निषाद | Dr Sanjay Nishad targets Krishi bill protesters in Barabanki | Patrika News

आज किसानों का आंदोलन वह लोग कर रहे, जो कभी खेत में गए ही नहीं, भाजपा उपचुनाव में हमें भी दे सम्मानजनक सीटें: डॉक्टर संजय निषाद

locationबाराबंकीPublished: Sep 29, 2020 01:16:53 pm

राष्ट्रीय निषाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष डाक्टर संजय निषाद ने विभिन्न मुद्दों पर खुल कर बात की।

आज किसानों का आंदोलन वह लोग कर रहे, जो कभी खेत में गए ही नहीं, भाजपा उपचुनाव में हमें भी दे सम्मानजनक सीटें: डॉक्टर संजय निषाद

आज किसानों का आंदोलन वह लोग कर रहे, जो कभी खेत में गए ही नहीं, भाजपा उपचुनाव में हमें भी दे सम्मानजनक सीटें: डॉक्टर संजय निषाद

बाराबंकी. राष्ट्रीय निषाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष डाक्टर संजय निषाद ने विभिन्न मुद्दों पर खुल कर बात की। डाक्टर संजय निषाद ने कहा कि उपचुनाव में भाजपा हमें भी हमारे बाहुल्य वाली सीटों पर हमारा समर्थन करे क्योंकि हमने यह सिद्ध किया है कि अब हमारा वोट पउवा पर नहीं बिकता और खुल कर भाजपा का समर्थन करता है। किसान बिल पर डाक्टर संजय निषाद ने कहा कि अच्छा है कि संसद में भी किसान नाम का शोर होने लगा अन्यथा अभी तक उनका कोई नामलेवा नहीं था। मगर अब हर कोई किसान हितैषी होने का दिखावा कर रहा है। कृषि कानून का विरोध ऐसे लोग कर रहे हैं जो कभी खेत में गए ही नहीं।
भाजपा से मांगी हिस्सेदारी

बाराबंकी में निषाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष डाक्टर संजय निषाद अपनी पार्टी और कार्यकर्ताओं की बाट जोहने पहुंचे। इस दौरान उन्होंने सत्ताधारी भाजपा से उपचुनाव में अपनी हिस्सेदारी मांगकर भाजपा को मुश्किल में डाल दिया। डाक्टर संजय निषाद ने बताया कि 2017 में उन्होंने भाजपा से गठबन्धन किया और एकमुश्त का वोट भाजपा को दिलवाया, 2018 में सपा से गठबंधन पर गोरखपुर लोकसभा उपचुनाव जीता और 2019 के लोकसभा चुनाव में फिर भाजपा से गठबंधन के बाद फिर एकमुश्त वोट भाजपा के पक्ष में गया। हम 2022 के चुनाव की तयारी में थे मगर इस बीच उपचुनाव आ गया तो हम भाजपा से सम्मानजनक सीट दिए जाने की अपेक्षा करते हैं।
किसानों का हमदर्द बनने का दिखावा

कृषि कानून पर डाक्टर संजय निषाद ने कहा कि अच्छा है कि अब संसद में किसानों की आवाज गूंजने लगी है और हर कोई अब किसानों का हमदर्द बनने का दिखावा कर रहा है। किसानो का कानून जब आया तो इन लोगों ने कोई चर्चा नहीं की मगर जैसे ही यह पास हुआ और अंग्रेजी में आया यह लोग सामने आ गए और विरोध करने लगे। रात में आया कानून सुबह किसान सड़कों पर आ जाए तो यह बात तय हो जाती है कि इनको पीछे रहकर गुमराह किया जा रहा है। किसान कानून का विरोध वह लोग कर रहे हैं जो खेत में कभी गए ही नहीं हैं।
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