बाराबंकी

11 चिताओं के साथ जल गईं इन परिवारों की खुशियां, आसुओं के सैलाब में बह गया सबकुछ

इस हृदय विदारक घटना ने सबको झकझोर दिया है…

बाराबंकीJan 12, 2018 / 01:28 pm

नितिन श्रीवास्तव

11 चिताओं के साथ जल गईं इन परिवारों की खुशियां, आसुओं के सैलाब में बह गया सबकुछ

बाराबंकी. बाराबंकी में बुधवार से शुरू हुआ मौतों का आंकड़ा जैसे-जैसे बढ़ता रहा, वैसे ही बढ़ती रही प्रशासन की धड़कनें। जब मौत का आंकड़ा 11 पहुंच गया तो पूरा प्रशासनिक अमला सामने आ गया और मौत की वजह बताने में जुट गया। लेकिन इस आरोप प्रत्यारोप और बचाव के बीच असल सवाल का दम घुट कर रह गया। देवा इलाके में 11 चिताएं धधक रही थीं और उसी के साथ धधक-धधक कर जल रहा था 11 परिवारों का भविष्य। प्रशासन मौत की असल वजह बताने में जुटा हुआ था और उधर 11 परिवारों का भविष्य का दिया बुझता जा रहा था। प्रशानिक बचाव की रफ्तार में यह सवाल काफी पीछे छूट गया कि आखिर इन परिवारों का अब क्या होगा।
 

11 मौतों ने झझकोरा

हम बात कर रहे हैं बाराबंकी जनपद के देवा थाना इलाके में कल हुई 11 मौतों की। बुधवार सवेरे से जब मौतों का सिलसिला शुरू हुआ तो रुकने का नाम नहीं लिया। देर रात आते-आते यह आंकड़ा 11 पहुंच गया। बुधवार को प्रशासन का हर अधिकारी इस मामले से पल्ला झाड़ता दिखाई दे रहा था और मामले में अनभिज्ञता जताते हुए लीपापोती कर रहा था। वह अब पूरे अमले के साथ सफाई पेश कर रहा है। इस प्रशानिक अमले की अगुवाई कर रहे थे जिलाधिकारी अखिलेश तिवारी, पुलिस अधीक्षक अनिल कुमार सिंह और मुख्य चिकित्सा अधिकारी रमेश चन्द्रा। जिलाधिकारी ने 11 में से 3 मौतों का ठीकरा स्प्रिट पीने के मामले पर फोड़ा और बाकी 8 की स्वाभाविक मृत्यु बताकर मामले की इतिश्री कर ली।
 

अंधेरे में इन परिवारों का भविष्य

मगर इन सवालों के जवाब में वह असल सवाल पीछे छूट गया जो मृतकों के परिवारों से जुड़ा हुआ था। उन गरीब परिवारों के बारे में जिलाधिकारी ने कुछ भी नहीं बताया। जो उनके भविष्य से जुड़ा हुआ है। मृतकों के परिवार की अपनी अलग-अलग समस्याएं हैं। मसलन ढिंढ़ोरा गांव के मृतक राकेश जिनकी 3 लड़की और 2 लड़के हैं। राकेश अपनी बड़ी लड़की की शादी अगले महीने फरवरी में करने की सोंच रहा था। अब राकेश के जाने के बाद उसकी बेटी का हाथ कौन पीला करेगा और बाकी लड़कियों की शादी कैसे होगी। उसके बेटों के भविष्य कैसे सुधरेगा। यह विचारणीय प्रश्न है। जिसपर प्रशासनिक अफसरों को सोचना चाहिए था। इसी तरह मुन्नी पुरवा गांव के कमलेश जिनके 4 बच्चे हैं और इसी गांव के रामफल जिनके 2 बच्चे हैं। इनके भविष्य का अब क्या होगा। आखिर कैसे इनके जीवन में उजाला आएगा। इस बात का सहज अंदाजा लगाना मुश्किल है।
 

राजनेता भी कर रहे हैं राजनीति

इस हृदय विदारक घटना ने जहां सबको झकझोर दिया है। तो वहीं राजनेता भी राजनीति करने से बाज नहीं आ रहे। समाजवादी पार्टी के स्थानीय विधायक सुरेश यादव ने सरकार पर आरोप मढ़ते हुए कहा कि उसे गरीबों का ध्यान नहीं है। यह लोग न कुछ कर रहे हैं और न ही करना चाह रहे हैं। भाजपा जिलाध्यक्ष अवधेश श्रीवास्तव ने कहा कि पीड़ित परिवार के साथ उनकी पूरी संवेदना है और सरकार इन परिवारों के साथ खड़ी है। लेकिन अब सवाल ये है कि इस मामले में प्रशासनिक बचाव, राजनैतिक दलों के आरोप-प्रत्यारोप के बीच कहीं पीड़ित परिवारों की चीत्कार दम न घोंट दे।
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