गांव में पानी घुसना शुरू घाघरा नदी इन दिनों उफान पर है। इसके उफनाने से नदी का पानी अब आस-पास के गांवों में घुसना शुरू हो गया है। इसके अलावा अब सैंकड़ों ऐसे गांव और हैं, जिन पर बाढ़ का खतरा मंडराने लगा है। नदी का पानी बढ़ने से किसानों को अपनी फसलें बर्बाद होने का डर सताने लगा है। नदी के जलस्तर में इस कदर बढ़ोत्तरी हो रही है, जिसे देखकर साफ कहा जा सकता है कि आने वाले दिनों मे बाढ़ की स्थिति और विकराल होने वाली है।
बढ़ा कटान का खतरा जानकारी के मुताबिक घाघरा का जलस्तर खतरे के निशान से 106.070 मीटर के करीब पहुंच गया है। हर बार की तरह एल्गिन-चरसड़ी बांध पर कटान का खतरा बढ़ रहा है। जिसके चलते तटवर्ती गांवों के किसानों की काफी फसल नदी में समाना शुरू हो गई है। वहीं प्रशासन का कहना है कि नदी के जलस्तर में बढ़ोत्तरी हुई है लेकिन बाढ़ जैसी कोई भी स्थिति फिलहाल अभी नहीं है।
ग्रामीणों ने खोली प्रशासन के दावों की पोल ग्रामीणों की अगर मानें तो उनके मुताबिक बाढ़ से निपटने के लिए फिलहाल तो प्रशासन का कोई इंतजाम नहीं किया है। गांव वालों के मुताबिक उनकी माली हालत बहुत खराब है। जब तक सरकार उनके रहने की कहीं स्थायी व्यवस्था न करा दे तब तक वे लोग यहां रहने को मजबूर हैं। कई ग्रामीणों ने बताया कि नदी की बाढ़ में उनकी काफी जमीन कट गई, जिससे उनकी रोजी-रोटी के लाले पड़ गए हैं। जिसके चलते अब दिहाड़ी मजदूरी करके जीवन का गुजारा चल रहा है, लेकिन सरकार की तरफ से आज तक कोई मदद नहीं मिली। उनका कहना है कि अगर सरकार उनको रहने के लिए कहीं दूसरी जगह दे दे, तो वे लोग यहां से जाकर वहीं अपनी स्थायी आशियाना बनाकर रहें। ग्रामीणों ने बताया कि बाढ़ आने के बाद सरकार की तरफ से खाने-पीने और बाकी जो मदद मिलती है, उसमें भी बंदरबांट हो जाती है और उनको सिर्फ निराशा ही हाथ लगती है।
नदी का पानी हुआ कम रामनगर तहसील के नायब तहसीलदार पुष्कर मिश्रा ने बताया कि नदी में पानी कल की अपेक्षा आज थोड़ा कम हुआ है। नायब तहसीलदार ने बताया कि बाढ़ का पानी पढ़ने पर वहां रह रहे लोगों को बंधे के दूसरी तरफ जमीन विस्थापित किया जाएगा। इसके अलावा शासन प्रशासन लगातार इस प्रयास में है कि बाढ़ से पीड़ित लोगों स्थाई रूप से कोई जगह मुहैया कराई जाए जिससे उनको स्थाई रूप से विस्थापित किया जा सके। जल्द ही गांव वालों की इस समस्या का निराकरण करा दिया जाएगा।