बाराबंकी के रामनगर इलाके में महाभारत कालीन प्रसिद्द शिव मन्दिर लोधेश्वर महादेव में जलाभिषेक करने का अरमान सभी श्रद्धालुओं के मन में होता है। सावन के महीने में इसके महत्त्व को लेकर यह अरमान और भी परवान चढ़ने लगता है। लेकिन इस बार शायद भोलेनाथ को ही मंजूर नहीं है कि भक्त उन पर जलाभिषेक करें क्योंकि कोरोना वायरस ने पूरे विश्व को अपनी चपेट में ले रखा है। इसी के कारण इस बार न कावड़ यात्रा उठेगी, न कावड़ यात्री चलेंगे। न ही भगवान शिव पर जलाभिषेक हो सकेगा।
यहां पर दर्शन के लिए राजधानी लखनऊ से आये कुछ श्रद्धालुओं ने बताया कि उन्हें पता लगा था कि सावन में मंदिर बंद रहेगा। इसलिए वह सावन आने से पहले ही दर्शन के लिए आये हैं और यहां दर्शन ही हो सकते हैं। जलाभिषेक वह नहीं कर सकते। मंदिर के बाहर पूजा सामग्री की बिक्री करने वालों ने बताया कि हर बार श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ता था। मगर इस बार कोरोना की महामारी ने श्रद्धालुओं के आने पर ग्रहण लगा दिया है। इससे उनके व्यापार में काफी नुक्सान होगा।
वहीं लोधेश्वर महादेव मन्दिर के मुख्य पुजारी पंडित आदित्य तिवारी ने बताया कि यह शिवलिंग चारों युगों में पूजित है। सतयुग में बाराह भगवान, त्रेता युग में राम भगवान, द्धापर युग में कृष्ण भगवान और कलयुग में हम सबके और हमारे पूर्वजों द्धारा पूजित होता रहा है। मगर इस बार कोरोना की वैश्विक महामारी के कारण इसकी पूजा सम्भव नहीं हो सकेगी। इस बार सावन में कांवड़ लेकर यात्रा करने वाले भक्तों से यह आग्रह है कि वह घर में रहकर ही भगवान् भोल्रनाथ की पूजा करें। यहां इस बार कोरोना की महामारी के चलते न ही कांवड यात्री आएंगे और न ही जलाभिषेक हो सकेगा। मंदिर तो खुला रहेगा मगर सोशल डिस्टेन्सिंग के कारण जलाभिषेक न होकर केवल भगवान के दूर से दर्शन किये जा सकते हैं। सावन के महीने के महत्त्व को बताते हुए पुजारी ने बताया कि सावन में ही भगवान शिव ने विषपान किया था और उनको शीतलता प्रदान करने के लिए भक्त उन पर जलाभिषेक करते हैं। मगर इस बार यह संभव नहीं हो सकेगा।