बाराबंकी जनपद के मुख्यालय से सात किलोमीटर दूर सफेदाबाद इलाके के भहरा गांव में स्थित यह आश्रम उन वृद्धों के लिए है जो परिवार से और सामज से ठुकराए हुए हैं।
यहां दिखती है नर सेवा-नारायण सेवा की असली झलक, निराश्रित वृद्धों के लिए है यहां स्वर्ग
बाराबंकी. माता-पिता को धरती का भगवान कहा जाता है, लेकिन समाज में कुछ ऐसे लोग हैं जो अपने इन भगवान् को बेसहारा भटकने के लिए भंवर में छोड़ देते हैं। लेकिन समाज का एक तबका ऐसा भी है जो इन्हें सहारा देता है। कुछ ऐसा ही नजारा बाराबंकी में भी देखने को मिलता हैं, जहां बेसहारा वृद्धों के लिए एक ऐसा आश्रम समाज के द्वारा चलाया जाता है जो परिवार से पीड़ित या निराश्रित लोगों की सेवा करता है। आज ऐसे ही एक आश्रम में भाजपा के नेता अपने जन्म दिवस के मौके पर वृद्धों को कम्बल बांटने पहुंचे। बाराबंकी. माता-पिता को धरती का भगवान कहा जाता है, लेकिन समाज में कुछ ऐसे लोग हैं जो अपने इन भगवान् को बेसहारा भटकने के लिए भंवर में छोड़ देते हैं। लेकिन समाज का एक तबका ऐसा भी है जो इन्हें सहारा देता है। कुछ ऐसा ही नजारा बाराबंकी में भी देखने को मिलता हैं, जहां बेसहारा वृद्धों के लिए एक ऐसा आश्रम समाज के द्वारा चलाया जाता है जो परिवार से पीड़ित या निराश्रित लोगों की सेवा करता है। आज ऐसे ही एक आश्रम में भाजपा के नेता अपने जन्म दिवस के मौके पर वृद्धों को कम्बल बांटने पहुंचे।
लड़के-बहू ने घर से निकाला बाराबंकी जनपद के मुख्यालय से सात किलोमीटर दूर सफेदाबाद इलाके के भहरा गांव में स्थित यह आश्रम उन वृद्धों के लिए है जो परिवार से और सामज से ठुकराए हुए हैं। इस आश्रम का संचालन फेयरडील ग्रामोद्योग सेवा समिति के बैनर तले कमलेश रावत की देखरेख में किया जाता है। इसमें कुछ ऐसे वृद्ध भी हैं जो परिवार से पीड़ित हैं। कुछ ऐसे लोग हैं जिनके परिवार नहीं हैं और निराश्रित हैं और वह अपनी सेवा खुद नहीं कर सकते। ऐसे लोगों की यह संस्था खुद पूरे निःस्वार्थ भाव से सेवा करती है।
अपनों ने ठुकराया, गैरों ने अपनाया इस आश्रम में रह रही वृद्ध महिला शांति ने बताया कि जब उनका बेटा सात साल का था तब उनके पति का देहांत हो गया। मगर उन्होंने लड़के के लिए दूसरी शादी नहीं की। लेकिन जब लड़का बड़ा हुआ तो उसने बहू के कहने पर उन्हें घर से निकाल दिया। अब वह यहां रह रही हैं और यहां के लोग उनकी खूब सेवा करते हैं। लड़के और बहू कभी यहां उनसे मिलने भी नहीं आते हैं। जब अपनों ने धोखा दिया तो गैरों ने यहां अपना लिया। ऐसा लगता है कि यही लोग अपने हैं।
कमा रहे पुण्य आश्रम के संचालक कमलेश रावत ने बताया कि उनके इस आश्रम का नाम मातृ-पितृ सेवा सदन वृद्धा आश्रम है। यहां हम बेसहारा वृद्धों की सेवा करते हैं। वृद्धों की दवाई, भोजन, सफाई की भी व्यस्था की जिम्मेदारी वह और उनकी संस्था उठाती है। वृद्धों की सेवा करके उन्हें बड़ा पुण्य मिलता है। अपने जन्मदिवस पर वृद्धों को कम्बल बांटने आश्रम पहुंचे भाजपा नेता राम बाबू दिवेदी ने बताय कि उनका इस माह यह आठवां कार्यक्रम है। भिन्न-भिन्न जगहों पर वह समाज के लिए कार्यक्रम कर चुके हैं। यहां की व्यवस्था देखकर उनका मन बड़ा ही प्रफुल्लित हुआ है। यहां वृद्धों की भोजन व्यवस्था, साफ-सफाई व्यवस्था आदि देखकर मन को बड़ा संतोष हुआ है कि यहां अपनों से ठुकराए लोगों की अपनों की तरह ही सेवा हो रही है।