इस बार सुधरेंगे हालात? दिवाली के दिये, माता लक्ष्मी और भगवान गणेश की मूर्ति बनाने वाले कुम्हार लोगों की साधना में साधन बनकर उनके घरों में माता लक्ष्मी के आगमन का जरिया बनते हैं। इनके प्रयासों से लोगों के घरों में सुख समृद्धि तो आ जाती है मगर इनकी आंखें माता लक्ष्मी की राह ताकती रहती हैं। यह कारीगर दूसरों के घरों में तो लक्ष्मी का आगमन करवा देते हैं मगर इनका घर सूना ही रह जाता है। हर बार की तरह इस बार भी इन लोगों ने लक्ष्मी आगमन की तैयारी की हैं, अब माता इनके घर आती हैं कि नहीं यह भविष्य के गर्त में छिपा है क्योंकि अब तक इनके घरों में सुख समृद्धि का आगमन हुआ ही नहीं। इन कुम्हारों की सुख समृद्धि में सबसे बड़ी बाधक बन गई है चाइनीज झालर। इन झालरों ने घर-घर तक इस कदर अपनी पहुंच बना ली है कि अब मिट्टी का दीया घरों में पहुंचना मात्र औपचारिकता रह गया है।
चाइनीज आइटम से काम चौपट बाराबंकी में दिया बनाते हुए कारीगर अयोध्या प्रसाद और राम नरेश बताते है कि वह हर साल दिए बनाते हैं। मगर चाईनीज झालरों ने उनके इस कारोबार को खत्म कर दिया है। लोग दीयों की खरीदते तो हैं मगर सिर्फ औपचारिकता पूरी करने के लिए। क्योंकि पूजा बगैर दीयों के होती नहीं है। इस बार फिर वह इस आस में दीये बना रहे हैं कि वह खूब बिकें। दिए जितने बिकेंगे उन्हें उतना लाभ होगा। साथ ही लक्ष्मी का आगमन और उनकी कृपा उतनी ज्यादा रहेगी। इस आशा के साथ वह अपने काम में लगे हुए हैं कि शायद इस बार उनके दिए ज्यादा बिक जाएं तो इनके घरों में भी इस बार सुख-समृद्धि आ जाए।