शारीरिक व मानसिक क्षमता होती है प्रभावित
एसीएमओ डा. राजीव सिंह बताते हैं कि एनीमिया हमारी शारीरिक व मानसिक क्षमता को प्रभावित करता है। एनीमिया में हीमोग्लोबिन की कमी होती है। हीमोग्लोबिन ही फेफड़ों से ऑक्सीजन लेकर खून में पहुंचाता है। यही कारण है कि शरीर में हीमोग्लोबिन की कमी होने से ऑक्सीजन की कमी होने लगती है और शरीर को पर्याप्त ऊर्जा नहीं मिलती है। जो भी व्यक्ति अपने खान पान का ख्याल नहीं रखता है उसे एनीमिया हो सकता है लेकिन महिलाओं में एनीमिया की समस्या अधिक देखने को मिलती है।
बच्चों से बड़े सभी पर खतरा
जिला महिला चिकित्सालय की सीएमएस डा संगिता श्रीवास्तव बताती हैं कि वैसे तो बच्चों से लेकर बड़ों तक हर उम्र के लोग एनीमिया ग्रसित हो जाते हैं, लेकिन किशोरावस्था, प्रसव के बाद और रजोनिवृत्ति के बीच की आयु में यह समस्या अधिक देखी जाती है। आमतौर पर ऐसा तब होता है, जब शरीर में लाल रक्त कणों की कोशिकाओं के नष्ट होने की दर उनके निर्माण की दर से अधिक होती है। उन्होंने कहा कि एनीमिया के लक्षण महसूस होने पर तुरंत किसी अच्छे चिकित्सक से परामर्श लेना चाहिए।
खान पान का रखें विशेष ध्यान
जिला कार्यक्रम अधिकारी प्रकाश कुमार बताते हैं कि आज कोरोना के दौर में तो हमें इस पर विशेष ध्यान देना चाहिए क्योंकि इससे हमारी प्रतिरोधक क्षमता भी कम हो सकती है। ऐसी स्थिति में कोरोना के संक्रमण की संभावनाएं बढ़ जाती हैं। हमें ऐसे समय में अपने खान पान का विशेष ध्यान रखना चाहिए। हमें फल व सब्जियों को अच्छी तरह से धोकर खाना चाहिए। खाना बनाने व खाना खाने से पहले हाथों को साबुन और पानी से अच्छे से धोना चाहिए। गर्भवती एवं धात्री महिलाओं को डाक्टर की सलाह से विटामिन सी युक्त खाद्य पदार्थ नीबू, संतरा, आंवले के साथ आयरन की गोलियों का सेवन करना चाहिए।
एनीमिया के लक्षण
सांस फूलना, थकावट आना, चक्कर आना, घबराहट, एकाग्रता में कमी और आंखों, हथेलियों व नाखून का रंग पीला होना एनीमिया के प्रमुख लक्षण एनीमिया से बचाव के लिए प्रोटीन युक्त भोजन गुड़, चना, हरी पत्तेदार सब्जियां, सोयाबीन, चुकंदर, मूंगफली, मक्खन, अंडे, टमाटर, अनार, शहद, सेब, खजूर, अंकुरित दालें, तिल बाजरा आदि का सेवन करना चाहिए, इससे शरीर में खून की कमी दूर होती है। इसके अलावा अगर मांसाहारी हैं तो लाल मांस, कलेजी, मुर्गा, मछली अंडा का भी सेवन कर सकते हैं।
एनएफएचएस के अनुसार
राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण- 4 (2015-16) पर नजर डालें तो बाराबंकी में 15 से 49 वर्ष की किशोरियां एवं महिलाओं में एनीमिया का प्रतिशत ग्रामीण स्तर पर 37.3 तथा कुल 38.2 प्रतिशत है। इससे निपटना एक बड़ी जिम्मेदारी है। इसे ध्यान में रखते हुए ही पोषण प्लान बनाया जा रहा है। ताकि किशोरियों को एनीमिया से मुक्त किया जा सके। आयरन की गोलियां भी दी जा रही हैं, तथा ऐसी किशोरियों का फालोअप भी किया जा रहा है। उन्हें सही गुणवत्ता और निर्धारित आवृत्ति के हिसाब से भोजन की सलाह दी जाती है।