हर खांसी नहीं हो सकती कोरोना का संक्रमण, लेकिन दो हफ्ते से ज्यादा होने पर ना करें नजरअंदाज
जिला क्षय रोग अधिकारी डाक्टर एके वर्मा बताते हैं कि टीबी अथवा छय रोग माइक्रोबैक्टेरियम ट्यूबरक्लोसिस नाम के बैक्टीरिया के संक्रमण से होती है।

बाराबंकी. यदि किसी को दो सप्ताह या उससे ज्यादा समय से खांसी हो रही है तो उसे नजरअंदाज ना करें यह टीबी भी हो सकती है। सरकारी अस्पताल में जाकर जांच कराएं खांसी कोविड-19 व टीबी नहीं हो सकती है लेकिन कोविड-19 की तरह संक्रामक बीमारी है। दोनों बीमारियों के लक्षण भी लगभग एक जैसे ही मिलते जुलते है। जिसके कारण बीमारी का सही पता लगाने में परेशानी होती है। ऐसे में रोगी को सतर्कता बरतने की जरूरत है, क्योंकि मरीज की रोग प्रतिरोधक क्षमता बहुत कमजोर होती है। जिसके कारण कोविड-19 संक्रमण व टीबी का खतरा बना रहता है।
टीबी व कोरोना संक्रमण के बारे में जानकारी देते हुए जनपद के जिला क्षय रोग अधिकारी डाक्टर एके वर्मा बताते हैं कि टीबी अथवा छय रोग माइक्रोबैक्टेरियम ट्यूबरक्लोसिस नाम के बैक्टीरिया के संक्रमण से होती है। ज्यादातर या संक्रमण फेफड़ों में होता है। फेफड़े से ग्रसित व्यक्ति जब खासता या छिकता है तो खांसी या छीक के साथ बैक्टीरिया ड्रॉपलेट के रूप में बाहर आते हैं जो सामने के व्यक्ति के सॉस के साथ शरीर में पहुंच सकता है। लेकिन हर व्यक्ति जिसके शरीर में टीबी का बैक्टीरिया प्रवेश करता है तो उसको टीबी हो जाए यह आवश्यक नहीं है। यह व्यक्ति के रोग प्रतिरोधक क्षमता पर निर्भर करता है यदि व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है तो टीबी रोग से ग्रसित होने की संभावना ज्यादा होगी। उन्होंने बताया कि फेफड़ों के अलावा शरीर के किसी भाग जैसे हड्डी, बच्चेदानी, मस्तिष्क, आंख, कान या चमड़ी में टीवी का रोग हो सकता है। लक्षण होने पर मरीज को बलगम की जांच कराने की सलाह दी जाती है।बलगम में टीवी के बैक्टीरिया मिलने पर टीवी रोग की पुष्टि होती है। उन्होंने बताया कि बलगम की जांच इसलिए जरूरी है क्योंकि हर खांसी टीवी नहीं होती है। जैसेकि हर चमकती हुई वस्तु सोना नहीं होती, वैसे ही हर खांसी टीवी नहीं होती और एक्सरे में दिखने वाला हर धब्बा टीबी का धब्बा नहीं होता।
जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ वर्मा ने खांसी के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि वैसे तो खांसी कई तरह की होती है जैसे तेज खांसी, सामान्य खांसी, पुरानी खांसी, बलगम वाली खांसी, सूखी खांसी, काली खांसी आदि होती है। उनका कहना है कि ज्यादातर सर्दियों में खांसी की समस्या अधिक होती है लेकिन तत्काल इलाज न मिलने पर यह खांसी कई अन्य बीमारियों की जड़ भी हो सकती है। यदि उपचार के बाद खांसी जल्द ठीक ना हो तो इसे मामूली ना समझे।
32 डीएमसी पर बलगम जांच की सुविधा उपलब्ध
डीटीओ ने बताया कि जनपद में कुल 32 डीएमसी पर नि:शुल्क बलगम की जांच की सुविधा उपलब्ध है। हर संभावित टीबी का मरीज अपने नजदीकी बलगम जांच केंद्र पर जाकर बलगम की जांच करा सकता है। टीवी की पुष्टि होने पर मरीज को पूरा इलाज मुफ्त मिलता है। साथ ही हर टीवी मरीज को इलाज के दौरान पौष्टिक आहार हेतु 500 रूपया प्रतिमाह उसके बैंक खाते में डीबीटी के माध्यम से दिया जाता है।
प्राइवेट अस्पतालों में इलाज पर भी पौष्टिक आहार का लाभ
डीपीसी शिप्रा ने बताया कि अब टीबी मरीजों को निक्षय पोषण योजना के तहत प्राइवेट हास्पिटल में इलाज के दौरान भी अपना नाम पोर्टल के माध्यम से पंजीकृत कराकर पौष्टिक आहार हेतु 500 रूपये का लाभ मिल सकता है।
कोविड-19 व टीबी के यह है लक्षण
यदि किसी व्यक्ति को सूखी खांसी और बुखार के साथ सांस लेने में तकलीफ है तो यह कोविड-19 का लक्षण है। यदि दो सप्ताह से ज्यादा समय से लगातार खांसी आना, दो हफ्ते से ज्यादा समय से बुखार आना, खासकर शाम को बुखार आना, खांसी के साथ बलगम में खून आना, भूख ना लगना, वजन कम होना, सीने में दर्द रहना, पसीना आना यह टीवी का लक्षण है।
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