जिला चिकित्सालय के सीएमएस डॉ. एसके सिंह का कहना है कि सबसे पहले कमजोर रोग-प्रतिरोधक क्षमता वाले लोग चपेट में आते हैं, इसलिए इस मौसम में बच्चों को दस्त निमोनिया व सर्दी-खांसी, जुखाम जैसे तरह-तरह की अन्य बीमारियों से बचाने के लिए उनका खास ख्याल रखें। आजकल तापमान में उतार-चढ़ाव शुरू हो गया है। दिन का तापमान बढ़ जाता है तो रात में पारा लुढ़क जाता है। खासकर छोटे बच्चों और महिलाएं जिन्हें आयरन, प्रोटीन सम्पूर्ण रूप से नहीं मिल पता है। ऐसे में थोड़ी भी असावधानी सेहत बिगाड़ सकती है। उन्होंने बताया कि निमोनिया स्ट्रेप्टोकॉकस नामक एक बैक्टीरिया के कारण होता है। निमोनिया होने पर सबसे पहले फेफड़े अत्यधिक संक्रमित हो जाते हैं और इससे सांस लेने में तकलीफ बढ़ जाती है। इस सक्रमण में फेफड़ों के वायु के थैलों में पानी भर जाता है जिससे तेज बुखार व सांस लेने में तकलीफ होने लगती है। निमोनिया से सक्रमित होने पर व्यक्ति में कई प्रकार के लक्षण दिखने लगते है।
निमोनिया के लक्षण – तेज सांस – पसली का चलना – सांस लेने पर घरघराहट होना – स्तनपान न कर पाना – कुछ भी न पी सकना और उल्टी कर देना
– सुस्त या बेहोश होना – झटके आना इन लक्षणों के दिखायी देने पर तुरंत अस्पताल ले जाएँ – यदि बच्चे को 30 दिन से अधिक समय से खांसी आ रही है तो अस्पताल जाएँ
– बीमारी के दौरान भी स्तनपान या आहार देना बंद न करें – बच्चे को गरम रखें – बच्चे को निमोनिया का टीका लगवाएँ – बच्चे को धुआं रहित गरम वातावरण में रखें
– शौचालय का उपयोग करें – साफ पानी का इस्तेमाल करें निमोनिया से बचाव जिला प्रतिक्षण अधिकारी डा राजीव सिंह ने बताया कि इसका इलाज समय रहते न कराया जाय तो इससे जान भी जा सकती है। इससे बचाव के लिए नवजात शिशुओं को छूने से पहले अपने हाथों को साबुन पानी से जरूर धुलना चाहिए। साफ सफाई का विशेष ख्याल रखें। निमोनिया सहित अन्य बीमारियों से बचने का यह सबसे अच्छा तरीका है। साथ ही शिशुओं को ठंड से बचाने के लिए अच्छी तरह ढ़क कर रखना चाहिए। बच्चों की प्रतिरक्षा प्रणाली मजबूत बनी रहे इसलिए जन्म के तुरन्त बाद बच्चे को मां का पहला गाढ़ा दूध अवश्य देना चाहिए। निमोनिया के लक्षण दिखायी देने पर तुरंत अस्पताल जाना चाहिए।