इनको आसानी से हो सकता है सेप्सिसिमिया विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार सेप्सिस किसी को भी हो सकता है। विशेष तौर पर कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली या प्रतिरोधक शक्ति वाले व्यक्तियों, नवजात शिशुओं, बच्चों, गर्भवतियों, बुजुर्गों, किसी संक्रमण से संक्रमित, एड्स या एचआइवी पॉज़िटिव, कैंसर, लीवर सिरोसिस, गुर्दा या प्लीहा संबन्धित रोगों से ग्रसित व्यक्ति को| मौजूदा कोरोना संक्रमण के दौर ने इसकी संभावनाएं और ज्यादा बढ़ा दी है।
डिप्टी सीएमओ डा राजीव सिंह ने बताया सेप्सिस हो जाने पर शुरुआती स्टेज में शरीर में पनप रहे संक्रमण को एंटीबायटिक्स द्वारा खत्म कर इस रोग को फैलने से रोका जा सकता है। लेकिन यदि लक्षण के प्रति सतर्क होकर तुरंत उपचार नहीं कराया गया तो यह गंभीर हो सकता और सेप्टिक शॉक के रूप में परिणत होकर रोगी के जीवन के लिए संकट पैदा कर सकता है। इसलिए ऐसे किसी भी लक्षण के दिखते ही बिना लापरवाही बरते चिकित्सक से संपर्क करें ताकि चिकित्सक अविलंब रक्त जांच कर स्थिति का पता लगा सकें और इलाज शुरू कर सकें।
स्वच्छता और पोषण से बचाव संभव डिप्टी सीएमओ ने आगे बताया कि सेप्सिस हो जाने पर उसका इलाज घरेलू उपायों से नहीं हो सकता है। लेकिन कोई रोग हो जाने पर उसका इलाज करवाने से अच्छा है कि रोग को शरीर में पनपने न दें। कोरोना ने वैसे भी समुदाय को स्वास्थ्य के प्रति पहले की अपेक्षा ज्यादा जागरूक कर दिया है। यह स्पष्ट है कि सेप्सिस होने का मुख्य कारण स्वच्छता के अभाव में फैला संक्रमण है। इसलिए अपने आसपास स्वच्छता बनाए रख कर संक्रमित होने से बचें। दूषित पानी और उससे बने भोजन से बचें। भोजन की गुणवत्ता और रोग प्रतिरोधक शक्ति बढ़ाने के लिए विटामिन-सी युक्त आहार लें और पर्याप्त जल पीयें। खुद को कोरोना संक्रमण से बचाने के लिए मास्क और सैनिटाइजर का इस्तेमाल करें। दो गज की शारीरिक दूरी का ध्यान रखें और दूसरों को भी इसके लिए प्रेरित करें।
क्या है लक्षण और उपाय विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार इसमें बुखार और कंपकपी, सांस लेने में कठिनाई, सांस फूलना या तेज होना, हृदय की धड़कन का तेज होना, मानसिक स्वास्थ्य में बदलाव या बेचैनी, असामान्य रक्तचाप, शरीर पर धब्बे या चकत्ते, दस्त, मतली या उल्टी, पेशाब कम आना और शरीर में अत्यधिक दर्द जैसे लक्षण होते हैं।