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महामारी में मर्यादा भूले समाजवादी, विकलांग को उठाकर सीएमओ की मेज पर बिठाया, लगाए फर्जी आरोप

locationबाराबंकीPublished: Sep 29, 2020 11:53:26 am

समाजवादियों के फर्जी आरोप से विकलांग और उसका साथी मौके पर ही मुकर गया।

महामारी में मर्यादा भूले समाजवादी, विकलांग को उठाकर सीएमओ की मेज पर बिठाया, लगाए फर्जी आरोप

महामारी में मर्यादा भूले समाजवादी, विकलांग को उठाकर सीएमओ की मेज पर बिठाया, लगाए फर्जी आरोप

बाराबंकी. प्रदेश में सत्ता की छटपटाहट किस कदर होती है यह बात समाजवादियों के प्रदर्शन से साफ हो गयी। दरअसल एक विकलांग को सपाइयों ने उठाकर फर्जी आरोप लगाते हुए सीएमओ की मेज पर ही बैठा दिया। यह सब समाजवादियों ने तब किया जब पूरा विश्व कोरोना संक्रमण काल से जूझ रहा है। हालांकि समाजवादियों के फर्जी आरोप से विकलांग और उसका साथी मौके पर ही मुकर गया। इससे एक बात तो साफ हो गयी कि समाजवादियों का प्रदर्शन गरीब जनता के लिए नहीं बल्कि सत्ता में अपनी वापसी के लिए किया जा रहा था। प्रदर्शन के दौरान न तो समाजवादी मास्क पहन रखे थे और न ही जिस विकलांग को लेकर आये उसने ही मास्क पहन रखा था। इससे यह साफ था कि उन्हें संक्रमण का कोई डर नहीं है।
मर्यादा भूले सपाई

मर्यादा को ताक पर रखने की यह तस्वीरें सामने आई हैं बाराबंकी के सीएमओ ऑफिस से जहां बन्द ओपीडी को चालू करने की मांग को लेकर समाजवादी सीएमओ कार्यालय पहुंचे थे। जिससे गरीब अपना इलाज आसानी से जिला अस्पताल में मुफ्त करवा सकें। लेकिन ऑफिस में जो समाजवादियों ने किया उसने यह साफ कर दिया कि वह गरीबों के लिए परेशान नहीं है बल्कि सत्ता में अपनी वापसी के लिए वह परेशान हैं।
सीएमओ की मेज पर बिठाया

तस्वीरों में देखा जा सकता है कि जब प्रदर्शन करते हुए समाजवादी सीएमओ ऑफिस पहुंचे तो वहां खड़े एक विकलांग युवक को गोद में उठा लिया । विकलांग कुछ समझ पाता उससे पहले ही वह लोग सीएमओ के पास जाकर आरोप लगाने लगे कि यह विकलांग 15 दिनों से दौड़ रहा है और इससे काम के बदले पैसे मांगे जा रहे हैं। हालाकि विकलांग को उठा कर लाये समाजवादी युवजन सभा के जिलाध्यक्ष आशीष सिंह आर्यन के सामने ही विकलांग के साथ आये उसके साथी ने कहा कि नहीं वह पहली बार आये हैं और उनसे किसी ने पैसे की मांग नहीं की है।
कुछ भी हो मगर समाजवादियों द्वारा कोरोना की महामारी के दौरान सीएमओ की मेज पर विकलांग को बैठा देना मर्यादा को तो तार-तार कर ही रहा था। साथ ही कोरोना की महामारी के विपरीत कृत्य भी था। जहां शारीरिक दूरी और मास्क कोरोना का अचूक हथियार माना जाता हो। वहां ऐसा कृत्य क्या महामारी को बढ़ावा नहीं देता।
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