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बाराबंकी का स्प्रिट कांड, पीड़ितों के परिजनों को मिली 2-2 लाख की आर्थिक सहायता

locationबाराबंकीPublished: Mar 05, 2018 03:11:52 pm

Submitted by:

Ruchi Sharma

देवा थाना क्षेत्र में स्प्रिट पीने से जिन 10 लोगों की मौत हुई थी उनके परिजनों को मुख्यमंत्री विवेकाधीन कोष से 2-2 लाख रुपए की आर्थिक सहायता दी गई

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बाराबंकी. देवा थाना क्षेत्र में स्प्रिट पीने से जिन 10 लोगों की मौत हुई थी उनके परिजनों को मुख्यमंत्री विवेकाधीन कोष से 2-2 लाख रुपए की आर्थिक सहायता दी गई। बीजेपी सांसद प्रियंका सिंह रावत और जिलाधिकारी अखिलेश तिवारी की मौजूदगी में पीड़ितों के परिजनों को चेक दिए गए।
बाराबंकी के देवा क्षेत्र में स्प्रिट पीने से हुई मौतों के बाद पूरे प्रदेश में हड़कंप मच गया था। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इन मौतों पर गहरा दुख व्यक्त करते हुए मृतकों के परिजनों को 2-2 लाख रुपए की आर्थिक सहायता दिए जाने की घोषणा की थी। सीएम योगी ने इस घटना की जांच कराए जाने के भी आदेश दिए थे। इसके साथ ही उन्होंने बीमार व्यक्तियों के इलाज की पूरी व्यवस्था करने के भी निर्देश दिए थे। जिसके बाद आज मृतकों के परिजनों को मुख्यमंत्री विवेकाधीन कोष से 2-2 लाख रुपए की आर्थिक सहायता दी गई। इसके अलावा एक मृतक के परिजन को आम आदमी बीमा योजना का भी लाभ दिया गया। साथ ही दो मृतकों के परिजनों को कृषि योग्य भूमि का भी आवंटन किया गया है।
पीड़ितों के परिजनों को चेक देते समय बाराबंकी की सांसद प्रियंका रावत ने कहा कि उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ की सरकार ने जो कहा वह कर के दिखाया है। सरकार ने सभी पीड़ितों की मदद के अपने वादे को पूरा किया है। सांसद से जब यह पूछा गया कि स्प्रिट पीने से कुल 14 मौतें हुई थीं, लेकिन मदद केवल 10 लोगों के परिजनों को ही दी गई है। इस पर प्रियंका रावत ने कहा कि वह देखेंगी कि बाकी लोगों को भी जल्द से जल्द मदद मिले।
हमारी सरकार सभी की मदद के लिए कटिबद्ध है और कोई भी इससे अछूता नहीं रह जाएगा। इस मौके पर प्रियंका रावत के साथ बाराबंकी के जिलाधिकारी अखिलेश तिवारी, एसपी अनिल कुमार सिंह, एडीएम अनिल सिंह और एसडीएम सुशील सिंह समेत तमाम आलाधिकारी भी मौजूद रहे।
आपको बता दें कि बीते जनवरी महीने में स्प्रिट पीने से मौत का मामला मुख्यमंत्री के संज्ञान में आने के बाद जिला प्रशासन में सनसनी फैल गई थी।

सीएम योगी ने आबकारी और गृह विभाग की संयुक्त टीम को इस मामले की जांच भी सौंपी थी। उस समय जिला प्रशासन ने मामला सांभालने के लिए दावा किया था कि स्प्रिट पीने से किसी की भी मौत नहीं हुई। प्रशासन ने ठंड लगना और अन्य बीमारी को मौत के पीछे की वजह बताई थी। लेकिन पीड़ित परिजनों ने प्रशासन की पोल खोलते हुए बताया था कि मौत स्प्रिट पीने से ही हुई। परिजनों ने आरोप लगाया था कि पुलिस अधिकारियों ने उन्हें मुआवजा का लालच देकर झूठ बोलने को कहा था। इसलिए लोगों ने ठंड से हुई मौत बता दिया था।
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