scriptयौन एवं प्रजनन स्वास्थ्य के बेहतर परिणामों के लिए करना होगा ये उपाय, सर्वे में आया सामने | Survey for better sexual and reproductive health results | Patrika News

यौन एवं प्रजनन स्वास्थ्य के बेहतर परिणामों के लिए करना होगा ये उपाय, सर्वे में आया सामने

locationबाराबंकीPublished: Nov 08, 2020 08:53:02 am

एक नए सर्वे में कहा गया है कि उचित सामाजिक वातावरण तथा सूचनाओं व सेवाओं संबंधी क्रियाओं को मजबूत करने से यौन एवं प्रजनन स्वास्थ्य परिणामों में काफी सुधार लाया जा सकता है।

यौन एवं प्रजनन स्वास्थ्य के बेहतर परिणामों के लिए करना होगा ये उपाय, सर्वे में आया सामने

यौन एवं प्रजनन स्वास्थ्य के बेहतर परिणामों के लिए करना होगा ये उपाय, सर्वे में आया सामने

बाराबंकी. एक नए सर्वे में कहा गया है कि उचित सामाजिक वातावरण तथा सूचनाओं व सेवाओं संबंधी क्रियाओं को मजबूत करने से यौन एवं प्रजनन स्वास्थ्य परिणामों में काफी सुधार लाया जा सकता है। वर्ष 2015-16 और 2018-19 में उत्तर प्रदेश के 10-19 वर्ष की आयु के 10 हजार से अधिक किशोर/ किशोरियों पर किये गए अध्ययन यूडीएवाईए के अनुसार सही उम्र में शादी करना, लड़कियों को उच्च शिक्षा दिलाना, स्कूली शिक्षा के दौरान किशोर/ किशोरियों को गर्भनिरोधक विधियों की जानकारी देना, अविवाहित और विवाहित किशोर/ किशोरियों तक फ्रंटलाइन कार्यकर्ताओं की पहुंच सुनिश्चित करने के साथ-साथ उनमें युवा लोगों से प्रभावी संवाद करने की क्षमता विकसित करना कुछ ऐसे उपाय हैं, जिनसे किशोर/ किशोरियों के यौन एवं प्रजनन स्वास्थ्य में सुधार लाया जा सकता है।

 

सर्वे में आया सामने

वर्ष 2015-16 से 2018-19 के दौरान किये गए यूडीएवाईए अध्ययन से सामने आया है कि उत्तर प्रदेश में प्रजनन स्वास्थ्य से सम्बंधित जोखिमों, गर्भनिरोधकों की जानकारी व उपयोगिया तथा उनके उपयोग को प्रभावित करने वाले कारकों में बदलाव होता रहा है। यह निष्कर्ष कम उम्र के किशोर-किशोरियों (2015-16 में 10 – 14 वर्ष और अविवाहित), अधिक उम्र के किशोर-किशोरियों (2015-16 में 15-19 वर्ष और अविवाहित) और अधिक उम्र की विवाहित किशोरियों (2015-16 में 15 – 19 वर्ष) पर आधारित हैं।

 

पड़ता है सकारात्मक प्रभाव

पापुलेशन काउंसिल के निदेशक डॉ. निरंजन सगुरति के अनुसार यूडीएवाईए अध्ययन के निष्कर्ष बताते हैं कि स्कूल में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और शादी में देरी का महिलाओं के प्रजनन स्वास्थ्य और उनके परिवार नियोजन सम्बन्धी निर्णयों पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। साथ ही यह भी सामने आया है कि राष्ट्रीय किशोर स्वाथ्य कार्यक्रम जैसे सरकारी कार्यक्रमों की पहुँच तथा अधिक उम्र की अविवाहित या नव-विवाहित किशोरियों के साथ फ्रंटलाइन कार्यकर्ताओं का संपर्क अब भी सीमित है। अध्ययन में यह भी सामने आया है कि राष्ट्रीय किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत चलाये जा रहे पीयर एजुकेटर (साथिया) कार्यक्रम के बारे में भी बहुत कम युवा जागरूक थे। केवल 2.6 प्रतिशत अविवाहित (13-17 वर्ष) लडकियों और 1 प्रतिशत लड़कों को ही इस कार्यक्रम की जानकारी थी। आशा कार्यकर्ता द्वारा केवल 12.5 प्रतिशत अविवाहित लड़कियों को किशोरावस्था के दौरान होने वाले शारीरिक बदलावों, 0.3 प्रतिशत को सुरक्षित यौन व्यवहार और एसटीआई/एचआईवी/एड्स तथा 3.3 प्रतिशत को गर्भनिरोधकों के बारे में जानकारी दी गई थी।

 

व्यावहारिक ज्ञान के रूप में हो साझा

अपर मिशन निदेशक राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन उत्तर प्रदेश डॉक्टर हीरालाल ने अध्ययन के आंकड़ों को गंभीरता से लेते हुए कहा कि इस रिसर्च के जो नतीजे हैं, इनमें जो भी कमियां इंगित की गई हैं। उनको दूर करके इससे बचा जा सकता है और इससे जुड़े सभी लोगों को इस दिशा में प्रयास करने होंगे। सेंटर फॉर एक्सिलेंके की डॉ सुजाता देब का कहना है कि आवश्यक है की प्रजनन और यौन स्वास्थ्य को किशोर–किशोरियों के साथ प्रारम्भ से होई व्यावहारिक ज्ञान के रूप में साझा किया जा सके। जिससे वे न सिर्फ शारीरिक विकास की अवधारणा को समझ सकें, बल्कि उसके देखभाल संबंधी तकनीकी पहलू से भी परिचित हो सके।

 

बेटे-बेटियों को दी जाए जानकारी

जिला कार्यक्रम प्रबन्धक अम्बरीश द्विवेदी का कहना है कि यौन एवं प्रजनन स्वास्थ्य की स्थिति को बेहतर करने के लिए किशोरावस्था में बेटे-बेटियों को ज्यादा से ज्यादा जानकारी देने की जरूरत है। अगर हम स्कूल-कालेजों में किशोर/किशोरियों को प्रजनन स्वास्थ्य से सम्बंधित जोखिमों, गर्भनिरोधकों की जानकारी व उपयोगिया के बारे में बताएंगे तो इससे उन बच्चों की जिंदगी भी बेहतर बनेगी और साथ ही देश का भविष्य भी बेहतर होगा।

 

खुलकर हो बात
सकारात्मक तौर पर देखा जाए तो शिक्षा के हर एक वर्ष में वृद्धि से युवा लड़कियों की यौन एवं प्रजनन स्वास्थ्य सम्बन्धी कार्यक्रमों के प्रति समझ और उनके बारे में खुलकर बात करने की क्षमता में भी वृद्धि होती है। आधारभूत शिक्षा का ज्ञान रखने वाली महिलाओं में कम बच्चे, गर्भपात की कम दर, गर्भनिरोधको की बेहतर समझ और संस्थागत प्रसव अपनाने की ओर रुझान देखने को मिला है। वर्ष 2015-16 में 10वीं पास अविवाहित युवतियां वर्ष 2018-19 के दौरान निर्णय लेने, आत्मनिर्भरता, गतिशीलता और लिंग-समानता की सोच रखने जैसे सूचकांकों पर बेहतर अंक प्राप्त किये। वहीं वर्ष 2015-16 में किशोर कार्यक्रमों में भाग लेने वाली लड़कियों ने भी वर्ष 2018-19 के दौरान इन सूचकांकों पर अधिक अंक प्राप्त किये। वर्ष 2015-16 में फील्ड कार्यकर्ताओं के संपर्क में रहने वाली लड़कियों ने भी इन सूचकांकों पर अधिक अंक प्राप्त किये।

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो