scriptयूपी के एक गांव के दो हजार परिवारों का दर्द, 80 मीटर बांध न बनने के चलते हुए बेघर, सालों से बंधे पर रहने को मजबूर | Village people facing problem due to dam Barabanki | Patrika News
बाराबंकी

यूपी के एक गांव के दो हजार परिवारों का दर्द, 80 मीटर बांध न बनने के चलते हुए बेघर, सालों से बंधे पर रहने को मजबूर

घाघरा नदी का जब जलस्तर बढ़ता है तो सबसे पहले मांझारायपुर गांव में उसका पानी प्रवेश करता है।

बाराबंकीAug 12, 2021 / 02:22 pm

नितिन श्रीवास्तव

यूपी के एक गांव के दो हजार परिवारों का दर्द, 80 मीटर बांध न बनने के चलते हुए बेघर, सालों से बंधे पर रहने को मजबूर

यूपी के एक गांव के दो हजार परिवारों का दर्द, 80 मीटर बांध न बनने के चलते हुए बेघर, सालों से बंधे पर रहने को मजबूर

बाराबंकी. उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले में वैसे तो घाघरा (सरयू) नदी जिले की तीन तहसील रामनगर, रामसनेघाट और सिरौलीगौसपुर के सैकड़ों गांव को बाढ़ आने पर प्रभावित करती है, लेकिन यहां कुछ गांव ऐसे भी हैं, जहां घाघरा नदी का प्रकोप ऐसा है कि वहां आज भी लोग पिछले काफी लंबे समय से नदी के बांध पर झोपड़ी बनाकर रहने को मजबूर हैं। इन गांवों में बा़ढ़ के समय पानी ही पानी रहता है। ऐसा ही एक गांव बाराबंकी जनपद से दूर गोंडा और बहराइच जनपद के पास पड़ता है। यहां जाने के लिए आपको गोंडा और बहराइच जनपद से होकर गुजरना पड़ेगा। उसके बाद ही बाराबंकी जिले के इस गांव तक पहुंच सकेंगे। जिसका नाम है मांझारायपुर गांव।
सबसे पहले इस गांव में आता है पानी

घाघरा नदी का जब जलस्तर बढ़ता है तो सबसे पहले मांझारायपुर गांव में उसका पानी प्रवेश करता है, इस बार भी घाघरा नदी का जलस्तर घटता बढ़ता रहा है, लेकिन यहां के लोगों के लिए ये आम बात है। कभी गांव में पानी ही पानी भरा रहता है तो कभी सूखा। मांझारायपुर गांव पहुंचने के लिए बाराबंकी जिले से लखनऊ गोंडा बहराइच नेशनल हाईवे पर घाघरा नदी के ऊपर बने संजय सेतु पुल को पार करके जाना होगा और बहराइच व गोंडा सीमा से होते हुए ही आप यहां पहुंच सकेंगे।
बांध न बनने से परेशानी

यहां के लोगों नें गांव की जो असल स्थिति बताई वह बेहद चौंकाने वाला है। गांव के प्रहलाद का कहना है कि 80 मीटर रिंग बांध बन जाये तो गांव में पानी न आये। वहीं गांव के साधू का कहना है पूरी जिंदगी बाढ़ झेलते हुए बीत गई। बच्चों की पढ़ाई नहीं हुई। उन्होंने कहा कि स्कूल दूर है। बच्चे वहीं पढ़ने जाते हैं। वहीं गांव की महिलाओं से जब बात की गई तो उन्होंने बताया कि जब गांव में काफी बाढ़ आ जाती है, तो सरकारी गल्ला पानी कभी कभी मिल जाता है। इस बार वो भी नही मिला, गांव की सरस्वती का कहना है कोई भी सुविधा नहीं मिल पाती। आज भी विकास से ये गांव काफी दूर है। गांव में दो हजार परिवार हैं। जिनकी सुनने वाला कोई नहीं है।

Home / Barabanki / यूपी के एक गांव के दो हजार परिवारों का दर्द, 80 मीटर बांध न बनने के चलते हुए बेघर, सालों से बंधे पर रहने को मजबूर

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो