scriptप्रति दिन पांच करोड़ यूनिट बिजली का घाटा, छबड़ा व सालपुरा में 2110 मेगावाट विद्युत उत्पादन ठप,मांग बढ़ी, उत्पादन घटा | 5 million units of electricity per day , 2110 MW power generation in C | Patrika News

प्रति दिन पांच करोड़ यूनिट बिजली का घाटा, छबड़ा व सालपुरा में 2110 मेगावाट विद्युत उत्पादन ठप,मांग बढ़ी, उत्पादन घटा

locationबारांPublished: Apr 19, 2018 03:15:17 pm

electricityइकाइयों के बंद होने से प्रतिदिन 5 करोड़ यूनिट विद्युत उत्पादन घट गया। यदि यह इकाइयां चालू रहती तो प्रतिदिन 50 लाख घरों को रोशन करती।

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छबड़ा/कवाई. भीषण गर्मी के मद्दे नजर बिजली की मांग बढ़ रही है। ऐसे में कोयला संकट व अन्य कारणों से जिले के कवाई स्थित निजी थर्मल प्लांट की ६००-६०० मेगावाट की दो, छबड़ा क्रिटिकल पावर प्लांट की 6६0 मेगावाट की एक एवं छबड़ा सुपर पावर प्लांट की 250 मेगावाट की 1 इकाई बंद होने से 2110 मेगावाट बिजली उत्पादन ठप है। सूत्रों का कहना है कि इन इकाइयों के बंद होने से प्रतिदिन 5 करोड़ यूनिट विद्युत उत्पादन घट गया। यदि यह इकाइयां चालू रहती तो प्रतिदिन 50 लाख घरों को रोशन करती।
छबड़ा थर्मल में भी 6 दिन का कोयला
मोतीपुरा चौकी में स्थित 1 हजार मेगावाट के छबड़ा सुपर थर्मल पावर प्लांट की भी तीन इकाइयों में ही विद्युत उत्पादन चालू है। थर्मल सूत्रों का कहना है कि 250 मेगावाट की चौथी इकाई को 10 अप्रेल से एक माह के लिए मरम्मत व वार्षिक रख रखाव के लिए शट डाउन पर लिया हुआ है। ऐसे में 250-250 मेगावाट की पहली, दूसरी व तीसरी इकाइयों में फुल लोड पर विद्युत उत्पादन जारी है। थर्मल सूत्रों ने सिर्फ 60 हजार टन कोयले का थर्मल में स्टॉक बताया है।
यदि लगातार तीनों इकाइयां फुल लोड पर चलती हैं तो यह कोयला मात्र 6 दिन का है। हालांकि सूत्रों ने थर्मल में कोयला संकट से इनकार किया है क्योंकि कोयले की पर्याप्ता लगातार बनी हुई है। सूत्रों के अनुसार छबड़ा सुपर क्रिटिकल थर्मल पावर प्लांट की 660 मेगावाट की 5 वीं इकाई भी मरम्मत कार्यों चलते पिछले माह 21 मार्च से बंद पड़ी है। हालांकि अभी इकाई कॉमर्शियल नहीं हुई है।
सालपुरा में स्थित निजी कंपनी का 1200 मेगावाट क्षमता वाला अडानी थर्मल पावर प्लांट पिछले एक सप्ताह से पूरी तरह ठप पड़ा है। सूत्रों के अनुसार थर्मल में कोयले का भारी संकट होने से 600 मेगावाट की पहली इकाई 29 मार्च को बंद कर दी गई थी। यह इकाई फिर से चालू होना तो दूर कोयले की आपूर्ति न होने से 600 मेगावाट की दूसरी इकाई को भी 12 अप्रेल को बंद करना पड़ा। अभी भी कोयले का संकट बना रहने से इकाइयां कब तक फिर से सुचारू होगी। कोई संभावना भी नहीं बताई गई।
(पत्रिका संवाददाता)

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