बारां. शहर को बाढ़ से बचाने को लेकर शुरू की गई महत्वकांक्षी परियोजना करीब तीन वर्ष बाद भी कछुआ चाल से चल रही है।
बारां. शहर को बाढ़ से बचाने को लेकर शुरू की गई महत्वकांक्षी परियोजना करीब तीन वर्ष बाद भी कछुआ चाल से चल रही है। योजना को लेकर अलग-अलग 11 पैकेज बनाए गए, करीब आधा दर्जन संवेदक फर्मों को 2015 में कार्यादेश दिए। इनके तहत जून 2017 तक सभी पैकेजों के
काम पूर्ण होने थे, लेकिन अब तक डायवर्जन चैनल समेत कुछ अन्य पैकेज का काम अधूरा है। इससे बारिश के समय शहर के लोगों को राहत मिलने को लेकर संशय है। विभाग की ओर से जून 2018 तक काम पूरा करने की बात की जा रही है, काम पूरा कर दिया जाता है तब भी छह माह का इंतजार तो और करना ही होगा। सरकार की ओर से करीब 152 करोड़ की प्रशासनिक एवं वित्तीय स्वीकृति जारी की हुई है।
भूमि अवाप्ति में हुआ है विलम्ब
जल संसाधन विभाग की ओर से शहर के लोगों को हर वर्ष बाढ़ से राहत दिलाने के लिए आनन-फानन में योजना का मसौदा तो तैयार कर लिया गया, लेकिन भूमि अधिग्रहण नहीं की गई। योजना के मसौदे को सरकार की ओर से मंजूरी देकर प्रशासनिक व वित्तीय स्वीकृति भी जारी कर दी। टैंडर प्रक्रिया कर ली गई लेकिन भूमि अधिग्रहण नहीं हुई तो काम में देरी हो गई। इसके अलावा कुछ लोग न्यायालय में चले गए। वहीं भूमि अवाप्ति के पुराने प्रावधानों में भी संशोधन हो गया तो नए प्रावधानों के तहत प्रक्रिया पूर्ण होने में समय लग गया। इससे कुछ जगह काम की रफ्तार धीमी ही रही।
रेत नहीं सेंड स्टोन
जलसंसाधन विभाग के एक्सईएन ने बताया कि निर्माणमें रेत उपलब्ध नहीं होने से सिलीकोन सेंड काम में ली जा रही है। जो बाजार में रेत से महंगी होने के साथ गुणवत्तापूर्ण भी है।
मुआवजा के लिए इंतजार
मुआवजा राशि वितरण में भी देरी की जा रही है। अभी भी शहर के कई लोगों को के बैंक खातों में उनकी मुआवजा राशि नहीं पहुंची है। करीब 152 करोड़ की योजना लागत में से करीब 49 करोड़ 68 लाख की राशि मुआवजा राशि तय की गई थी। इसमें से खेत जमीन मालिकों को तो करीब 17 करोड़ की राशि का वितरण ही हुआ है। हालांकि विभाग की ओर से करीब 46 करोड़ की राशि उपखंड अधिकारी कार्यालय को कर दी गई है, लेकिन वहां भी सत्यापन समेत बैंक प्रक्रिया पूर्ण होने में समय लग रहा है। विभाग की ओर से करीब साढ़े 21 करोड़ की राशि पूर्व में आवंटित की गई। इसके बाद 14 फरवरी को को करीब 25 करोड़ की राशि आवंटित की गई।