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किराए के भवनों में चल रहे हैं जिले के 455 आंगनबाड़ी केन्द्र

खस्ताहाल जर्जर भवनों में केन्द्र चलाए जा रहे है तो कहीं एक कक्ष में केन्द्र चलाए जा रहे है। कक्षों में पोषाहार सामग्री से भरे कट्टे और फर्नीचर आदि रखने के लिए भी तंगी रहती है।

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बारां

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Mukesh Gaur

Dec 21, 2024

खस्ताहाल जर्जर भवनों में केन्द्र चलाए जा रहे है तो कहीं एक कक्ष में केन्द्र चलाए जा रहे है। कक्षों में पोषाहार सामग्री से भरे कट्टे और फर्नीचर आदि रखने के लिए भी तंगी रहती है।

खस्ताहाल जर्जर भवनों में केन्द्र चलाए जा रहे है तो कहीं एक कक्ष में केन्द्र चलाए जा रहे है। कक्षों में पोषाहार सामग्री से भरे कट्टे और फर्नीचर आदि रखने के लिए भी तंगी रहती है।

बारां. महिला एवं बाल विकास विभाग की ओर से आंगनबाड़ी केन्द्रों की व्यवस्था सु²ढ़ करने के लिए केन्द्रों की सेवाओं में विस्तार किया जा रहा है, लेकिन केन्द्रों को विभाग के खुद के भवनों में संचालित करने को लेकर उदासीनता बरती जा रही है। इससे कई केन्द्रों का किराए के भवनों में संचालन किया जा रहा है। जिले में ही करीब 455 आंगनबाड़ी केन्द्रों को किराए के भवनों में चलाया जा रहा है। इसके अलावा अरसे से किराया राशि भी नहीं बढ़ाई जा रही है। कुछ वर्षो पहले किराया राशि बढ़ाने की पहल की गई, लेकिन सार्वजनिक निर्माण विभाग के मापदंड तय कर दिए गए। अब यह मापदंड पूरे नहीं होने से बढ़ाई गई किराया राशि का लाभ नहीं मिल रहा है।

शिक्षा, पोषण और स्वास्थ्य सेवा

आंगनबाड़ी केंद्रों पर मुख्य रूप से बच्चों को कुपोषण से बचाने और स्कूल पूर्व शिक्षा देने का कार्य किया जाता है। इसके अलावा बच्चों को अनुपूरक आहार, टीकाकरण, स्वास्थ्य जांच, स्वास्थ्य और पोषण शिक्षा जैसी सुविधाएं दी जाती हैं। कार्यकर्ताओं, सहायिकाओं और साथिनों का मानदेय दिया जाता है। गर्भवती, धात्री माताओं व किशोरी बालिकाओं की स्वास्थ्य जांच व पोषाहार समेत अन्य सुविधा दी जाती है।

केन्द्रों को किराए की शर्त पड़ रही भारी

सूत्रों के अनुसार विभाग की ओर से शहरी क्षेत्र में आंगनबाड़ी केन्द्रों के किराए के नाम पर 750 रुपए तथा ग्रामीण क्षेत्रों में मात्र 200 रुपए की राशि दी जा रही है। कुछ वर्षो पहले शहरों में करीब 4000 रुपए और ग्रामीण क्षेत्रों के लिए 2000 रुपए तक बढ़ाया गया था, लेकिन सार्वजनिक निर्माण विभाग के अनुसार मापदंड पूरे करने की शर्त रख दी। नियम कड़े करने से उनका पूरा होना संभव नहीं हो रहा है। कहीं खस्ताहाल जर्जर भवनों में केन्द्र चलाए जा रहे है तो कहीं एक कक्ष में केन्द्र चलाए जा रहे है। कक्षों में पोषाहार सामग्री से भरे कट्टे और फर्नीचर आदि रखने के लिए भी तंगी रहती है। कई कार्यकर्ताओं का कहना है कि 200 ओर 750 रुपए में मापदंडों के अनुसार भवन नहीं मिलता है।

वर्तमान में जिले में करीब 455 केन्द्र किराए के भवनों में है। इनमें से करीब 92 भवनों के लिए एनओसी और पट्टे मिल गए हैं। इन 92 केन्द्रों को शुरू करने की प्रक्रिया चल रही है। इसके बाद किराए के भवनों की संख्या कम हो जाएगी। वर्तमान में 750 और 200 सौ ही दिए जा रहे है।

रवि मित्तल, उपनिदेशक, महिला एवं बाल विकास विभाग