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अन्न के भरे भंडार, फिर भी किसान लाचार, कृषि मंडियों में नहीं हो रही खरीद

locationबारांPublished: May 11, 2020 07:52:43 pm

Submitted by:

Mahesh

किसान कल्याण कोष कर को लेकर व्यापारियों की हड़ताल बारां. अन्न का भंडार भरने वाले किसानों की हालत अंटी में माल होते हुए भी पतली है, घरों में गेहू समेत चना व सरसों के भंडार भरे हैं, लेकिन कृषि उपज मंडी समितियां बंद होने से वे जिंस का बेचान नहीं कर पा रहे। ऐसे में उन्हें पुरानी उधारी चुकाने के साथ घर चलाने व रबी की बुवाई के लिए खाद, बीज का प्रबंध करने में दिक्कत हो रही है।

अन्न के भरे भंडार, फिर भी किसान लाचार, कृषि मंडियों में नहीं हो रही खरीद

अन्न के भरे भंडार, फिर भी किसान लाचार, कृषि मंडियों में नहीं हो रही खरीद

किसान कल्याण कोष कर को लेकर व्यापारियों की हड़ताल

बारां. अन्न का भंडार भरने वाले किसानों की हालत अंटी में माल होते हुए भी पतली है, घरों में गेहू समेत चना व सरसों के भंडार भरे हैं, लेकिन कृषि उपज मंडी समितियां बंद होने से वे जिंस का बेचान नहीं कर पा रहे। ऐसे में उन्हें पुरानी उधारी चुकाने के साथ घर चलाने व रबी की बुवाई के लिए खाद, बीज का प्रबंध करने में दिक्कत हो रही है। राज्य सरकार की ओर से गत ५ मई को कृषि कल्याण कोष के नाम पर दो प्रतिशत अतिरिक्त कर लागने के विरोध में राजस्थान खाद्य व्यापार संघ ने प्रदेश की सभी २४७ मंडियों में जिंस की खरीद-फरोख्त बंद है। सरकार से वार्ता के प्रयास जारी है। इस भंवर में फंसे किसानों को अपनी जिंस सस्ते दामों में खुले बाजार में बेचने के अलावा कोई अन्य विकल्प नहीं सूझ रहा। अपनी जरूरतों की पूर्ति के लिए मेहनत की उपज को छोटे किसान औने-पौने दाम में बेचने को विवश होने लगे हैं, लेकिन बड़ी जोत के किसान राज्य सरकार से कृषि कल्याण कोष के नाम पर लगाए गए दो प्रतिशत कर को वापस लेने की आस संजोए है। ऐसे में बाजारों में वो रौनक नजर नहीं आ रही, जिसकी व्यापारियों के साथ मजदूरों को भी उम्मीद रहती आई है।

रकम मिले तो बने बात
किसानों का कहना है कि रबी की फसल के बाद सबसे पहला काम वे पुरानी उधारी चुकाने का करते हैं। इसके बाद रबी की बुवाई के लिए खाद्र बीज का इंतजाम करना होता है। इस दौरान परिवार की जरूरतों की पूर्ति भी जिंस बेचने के बाद मिलने वाली राशि से होती है। लेकिन कोरोना जैसी महामारी के दौरान किसानों के कल्याण के नाम पर उन पर ही कर का अतिरिक्त बोझ लादना न्यायोचित नहीं हो सकता।

आंदोलन की बना रहे रणनीति
भारतीय किसान संघ के पदाधिकारी अममृत छजावा व किसान महापंचायत के प्रदेश अध्यक्ष सत्यनारायण सिंह, परवन परियोजना आंदोलन से जुड़े किसान प्रतिनिधि पवन यादव समेत कई किसान संगठनों के पदाधिकारियों का कहना है कि जो किसान देश के अन्न के भंडार भरता हैं, सरकार ने उन्हीं पर कर का हथौड़ा चला दिया। इसे बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। अब सरकार के रवैये को देखते हुए आंदोलनात्मक कदम उठाने के अलावा अन्य कोई विकल्प नहीं रह गया।

गत वर्ष से कम आय
सरकार ने किसान कल्याण कोष के नाम पर दो प्रतिशत अतिरिक्त कर लगाने की घोषणा ५ मई को की थी। इसके बाद ७ मई से प्रदेश की सभी मंडियो में कारोबार बंद है। बारां मंडी को अप्रेल २०१९ में १.६० प्रतिशत कृषि कर के हिसाब से ६ करोड़ ८८ लाख रुपए की आय हुई थी। जबकि इस साल अप्रेल माह में ४ करोड़ १ लाख रुपए की आय हुई है, जो गत वर्ष की तुलना में २ करोड़ ८७ लाख रुपए कम है। वहीं अब बारां मंडी बंद रहने से प्रतिदिन करीब १५ लाख रुपए का कर नुकसान हो रहा है।

-मंडी को शुरू करने को लेकर उच्च स्तर पर ही कोई निर्णय होगा। इनदिनों जिंस की आवक को देखते हुए मंडी समिति ने पूरी तैयारियां की हुई है। सरकार व व्यापारियों के बीच कोई समझौता होने के बाद ही मडी में जिंसों की खरीद-फरोख्त शुरू की जा सकेगी।
मनोज मीना, सचिव कृषि उपज मंडी बारां

अब होगी २२ हजार मीट्रिक टन की खरीद
बारां. कोरोना वायरस संक्रमण के चलते लॉकडाउन के दौर में किसानों के लिए सरकारी खरीद केंद्र के तोल कांटे संबल प्रदान कर रहे हैं। जिले में एफसीआई की ओर से 16 अप्रेल से समर्थन मूल्य पर गेहूं की खरीद शुरू कर दी गई थी। बाद में खरीद केंद्रों की संख्या बढ़ाकर 24 कर दी गई। जिससे किसानों को काफी राहत मिल रही है। एफसीआई के बारां आगार प्रबंधक केशव मीणा ने बताया कि 16 अप्रेल से बारां, मांगरोल, सीसवाली, अटरू तथा छबड़ा में पांच खरीद केंद्रों पर गेहूं की खरीद शुरू की थी। बाद में आवश्यकता पडऩे पर जिला प्रशासन के निर्देशानुसार 4 केंद्र तिलम संघ के अन्ता, किशनपुरा, बोरदा, उमेदपुरा, नाहरगढ़ में शुरू किए गए थे। जबकि 15 खरीद केंद्र राजफेड के माध्यम से केलवाड़ा, घट्टी, बमोरीकलां, देवरी, खजूरना कलां, पलायथा, पाटोंदा, सहरोद व कटावर, बडौरा, कस्बानोनेरा, खंडेला, ठीकरिया, मिर्जापुर तथा छीपाबड़ौद में शुरू किए गए। लेकिन इन सभी खरीद केन्द्रों का लक्ष्य पूर्व में निर्धारित ५५ हजार तीट्रिक टन ही है। जिसके तहत अब तक करीब 33 हजार मैट्रिक टन गेहूं की खरीद की जा चुकी है। यह खरीद अब तक के आदेश अनुसार 30 जून तक जारी रहेगी।

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