खतरा कम नहीं, सतर्कता जरूरी हर नौ में से एक व्यक्ति को कैंसर होने की आशंका है। इस बीमारी से मृत्यु की संख्या भी बढ़ रही है। देश में कैंसर रोगियों की संख्या बढऩे में बढ़ती उम्र, जीवनशैली में बदलाव, व्यायाम, बीड़ी, सिगरेट, एवं तंबाकू का सेवनतथा पौष्टिक आहार की कमी प्रमुख कारण बताए जाते हैं। महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर और सर्वाइकल कैंसर दो आम प्रकार के कैंसर हैं। देश में कैंसर की देखभाल एक जटिल और विकसित परि²श्य है। इसमें रोकथाम, निदान, उपचार और व्यक्तियों के लिए सहायक देखभाल शामिल है। गुणवत्तापूर्ण कैंसर देखभाल और उपचार तक पहुंच समान रूप से नहीं है। यह अंतर ग्रामीण क्षेत्रों में विशेष रूप से ध्यान देने योग्य है। जहां स्वास्थ्य सेवा सुविधाएं सीमित हैं। केंसर रोग से बचाव के लिए नियमित मैमोग्राफी और ब्रेस्ट सेल्फ.एग्जामिनेशन, पैप स्मीयर टेस्ट और एचपीवी वैक्सीनेशन, योनि की जांच और अल्ट्रासाउंड स्कैन आदि हैं। वहीं महिलाओं के लिए सुझाव के तोर पर नियमित स्वास्थ्य जांच कराने, स्वस्थ आहार और व्यायाम करने, धूम्रपान और शराब से बचने, जननांगों के स्वास्थ्य का ध्यान रखने के साथ ही किसी भी तरह के लक्षण नजर आने पर चिकित्सक का परामर्श लेने की बात कही गई है। महिलाओं तथा पुरुषों में कैंसर की रोकथाम को लेकर प्राथमिक स्तर पर ही यदि रोग का पता चल जाए तो बचाव आसान होता है। इसके लिए जिले भर की एएनएम, जीएनएम, आशा सहयोगिनियों समेत स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को सामान्य स्क्रीङ्क्षनग का प्रशिक्षण दिया हुआ है। इसके चलते रोग का पता चल जाता है।
महिलाओं में सर्वाधिक ब्रेस्ट कैंसर के मामले महिलाओं में सर्वाधिक ब्रेस्ट केंसर के रोगी हैं, वहीं दूसरे नम्बर पर सर्वाइकल कैंसर है। सामान्य स्क्रीङ्क्षनग तथा वीआईए स्क्रीङ्क्षनग के बाद चिकित्सकीय परीक्षण किया जाता है। रोगी के लक्षण व जांच के बाद उपचार के लिए कई रोगी बाहर चिकित्सा करवाने के लिए चले जाते हैं। सर्वाधिक रोगी ओरल कैंसर के आते हैं। गुटखा, तंबाकू का सेवन इसका सबसे बड़ा कारण है। इसकी रोकथाम स्वयं व्यक्ति पर भी निर्भर करती है। यदि व्यक्ति गुटखा, तंबाकू से बचे तो इस रोग से बचा जा सकता है।
डॉ. अमित चौहान, डीपीसी, एनसीडी, बारां
कैंसर दिवस का महत्व विश्व कैंसर दिवस को मनाने के पीछे का उद्देश्य लोगों को कैंसर के बारे में जागरूक करना है। इसका प्रमुख लक्ष्य लोगों को कैंसर से जुड़ी जांचों और इलाज के बारे में बताना है। विश्व कैंसर दिवस के दिन लोगों को कैंसर के उपचार और उसकी रोकथाम के उपाय बताए जाते हैं। कैंसर रोग जितनी जल्दी पता चल जाए उतना रोगी के ठीक होने की संभावनाएं अधिक बढ़ जाती हैं।
62 वर्ष की उम्र में जब सीने में लगातार दर्द रहने लगा तो डॉक्टर को दिखाया। पता चला कि ब्रेस्ट कैंसर है। ऐसे में घबराहट होना स्वाभाविक था। पर हिम्मत नहीं हारी और लगातार चिकित्सकों से जांच करवाकर उपचार जारी रखा। बारां के सरकारी अस्पताल में एक ऑपरेशन करवाया। इसके बाद लगातार कीमोथैरेपी और उपचार से मैं आज एकदम ठीक हूं।
सावित्री बाई, छबड़ा
करीब एक साल पहले मैं पेट में दर्द रहने से परेशान रहती थी। मामूली इलाज करवा कर दवाएं ली, मगर कुछ आराम नहीं हुआ। इसके बाद बारां में जांच करवाई तो पता चला कि पेट में कैंसर है। छोटी-छोटी गांठे फैल गई हैं। ऐसे में सभी घबरा गए। करीब आठ महीने तक लगातार जांच व चिकित्सकों के परामर्श के बाद अब मैंने इस बीमारी पर विजय पा ली है।
सुरजा बाई, अंता
48 वर्ष की उम्र में जांच करवाने पर पता चला कि मुझे ब्रेस्ट कैंसर है। इस पर मैं और परिजन बुरी तरह से घबरा गए। अस्पताल में लगातार उपचार करवाया। हिम्मत नहीं हारी, और कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी से जीतने की मन में ठान ली। उपचार के दौरान दो बार सर्जरी हुई। कैंसर का इलाज करीब दो साल तक चलता रहा। अब भी दवाएं ले रही हूं, अब मैं बिल्कुल स्वस्थ महसूस करती हूं।
सुगना बाई, बारां
45 वर्ष की उम्र में कैंसर जैसी बीमारी होना कोई छोटी बात नहीं। मैं बुरी तरह से घबरा गई थी। मगर परिजन ने मेरी हिम्मत बढ़ाई, मेरा पूरा ख्याल रखा। ऐसे में जब आत्मविश्वास आया तो लगातार उपचार लेने के बाद मुझे फायदा हुआ। मुझे ब्रेस्ट कैंसर हुआ था। बारां के अस्पताल में डॉक्टर से जांच करवाकर छह महीने तक उपचार लिया। अब मैं पूरी तरह से ठीक हूं।
संतोष बाई, बारां