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उसके सामने अपने कलेजे के टुकड़े की लाश पड़ी थी और वह सुन रहा था नवजात शिशु को जीवनदान मिलने का दावा

locationबारांPublished: Oct 20, 2019 05:39:12 pm

उसके सामने अपने कलेजे के टुकड़े की लाश पड़ी थी और वह सुन रहा था नवजात शिशु को जीवनदान मिलने का दावा
अधूरा सच बताकर कर रहे भ्रमितमृतक के पिता ने कहा, डॉक्टरों को इतनी जल्दी शाबाशी नहीं लेना चाहिए थाबारां. जिला चिकित्सालय के चिकित्सकों की ओर से मरीजों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं देकर जीवन दान देने के दावे किए जा रहे हंै, लेकिन ज्यों ही केस क्रिटिकल दिखता है मरीज को कोटा रैफर कर मरीजों के स्वास्थ्य से खिलवाड़ किया जा रहा है।

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उसके सामने अपने कलेजे के टुकड़े की लाश पड़ी थी और वह सुन रहा था नवजात शिशु को जीवनदान मिलने का दावा

अधूरा सच बताकर कर रहे भ्रमित
मृतक के पिता ने कहा, डॉक्टरों को इतनी जल्दी शाबाशी नहीं लेना चाहिए था
बारां. जिला चिकित्सालय के चिकित्सकों की ओर से मरीजों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं देकर जीवन दान देने के दावे किए जा रहे हंै, लेकिन ज्यों ही केस क्रिटिकल दिखता है मरीज को कोटा रैफर कर मरीजों के स्वास्थ्य से खिलवाड़ किया जा रहा है। इससे किसी की रास्ते में तो किसी की अस्पताल में ही मृत्यु हो रही है। हाल ही में जिला चिकित्सालय पीएमओ व एक शिशु रोग चिकित्सक ने एक नवजात शिशु को जीवन दान देने का दावा करते हुए एक सोशल मीडिया ग्रुप पर शिशु के साथ फोटो शेयर किया। इसकी वाहवाही लूटने के लिए 15 अक्टूबर को जिले में प्रचार-प्रसार भी कराया, लेकिन ज्यों ही शिशु की थोड़ी तबीयत बिगड़ी उसे यह जानते हुए भी कि उसकी मौत हो सकती है उसे मृत्यु से मात्र एक घंटा पहले कोटा रैफर कर दिया।
नहीं पहुंचेगा तो आपदा में क्यों डाल रहे
मृतक शिशु के पिता राजेन्द्र मीणा का कहना है कि 15 अक्टूबर को मुझे बच्चे की मृत्यु से करीब एक घंटे पहले बच्चे को कोटा ले जाने के लिए बोला, डाक्टर ने कहा कि कोटा ले जाओ, कोटा पहुंच जाए या रास्ते में खत्म हो जाए। फिर उसने डॉक्टर से कहा कि आप बोल ही रहे हो पहुंच जाए या रास्ते में रह जाए तो फिर मेरे को क्यों आपदा में डाल रहे हो। इस पर डाक्टर ने कहा कि नहीं ले जाना चाह रहे तो रहने दो। उसके बाद दो बजे बच्चे के मरने की बात कही। उसके बाद वह डिस्चार्ज के कागज तैयार कराने के लिए जेरोक्स की दुकान पर गया तो वहां अखबार में मेरे बच्चे को बचाने की खबर देखी। अस्पताल वालों को शाबाशी के लिए इतनी जल्दी नहीं करनी चाहिए थी, बच्चा दो-चार दिन जीवित रहने के बाद करते। तुरंत ही फोटो लेकर प्रचार करा दिया।
–डाक्टर. ने पोस्ट शेयर की, पीएमओ ने प्रचार किया
यहां 13 अक्टूबर को रात करीब सवा नौ बजे जिले की छबड़ा तहसील के झरखेड़ी गांव निवासी प्रसूता गुड्डी मीणा ने तीसरी संतान के रूप में ढाई किलो वजनी बेटी को जन्म दिया। जन्म के बाद सांस लेने में तकलीफ के चलते उसे एसएनसीयू में भर्ती कर दिया, करीब 11 घंटे वेंटिलेटर पर रखा। बाद में वेंटिलेटर हटा दिया। ऑक्सीजन लगा दी। तबीयत में कुछ सुधार लगते ही शिशु रोग चिकित्सक रवि प्रकाश मीणा ने एक वाट्सएप ग्रुप पर खुद की सुझबुझ से बच्चे को जीवनदान देने का दावा करते हुए 14 अक्टूबर को फोटो समेत पोस्ट डाल दी। कुछ देर बाद पीएमओ डॉ. बिहारीलाल मीणा ने इसकी सूचना मीडिया को देकर 15 अक्टूबर को जिले में प्रचार करा दिया। लेकिन उसी दिन दोपहर करीब पौने दो बजे बच्चे की मृत्यु हो गई।
-क्रिटिकल केस था, वेंटिलेटर पर रखा था, कोशिश तो की थी। रैफर करते हैं तो परिजन भी ले जाने में देरी करते हैं, कुछ यहां पर ही इलाज कराने की बात कहकर मरीज को ले जाते ही नहीं हैं।
-डॉ. बीएल मीणा, पीएमओ, जिला चिकित्सालय

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