मिलीजुली कुश्ती का खेल, हो गया फेल
सरकारी चिकित्सालयों में उपचार-पत्र व विभिन्न जांचों से होने वाली आय बंद होने के कारण चिकित्सालय प्रशासन आय के स्रोत्र विकसित करने व आय में वृद्धि करने का प्रयास किए जा रहे हैं

जिला चिकित्सालय के केन्टीन पर लटके ताले
जिला कलक्टर ने निरस्त की टैंडर प्रक्रिया
विफल हुआ राजस्व में सेंधमारी का प्रयास
बारां. सरकारी चिकित्सालयों में उपचार-पत्र व विभिन्न जांचों से होने वाली आय बंद होने के कारण चिकित्सालय प्रशासन आय के स्रोत्र विकसित करने व आय में वृद्धि करने का प्रयास किए जा रहे हैं, वहीं दूसरी ओर कुछ संवेदक फर्म आय में सेंधमारी करने की जुगत में लगे हुए हैं। हाल ही में जिला चिकित्सालय में एक आर फिर इसी तरह का प्रकरण सामने आया हैं। संवेदकों ने जुगत लगाकर नौ लाख से अधिक राशि के केन्टीन को मात्र तीन लाख रुपए में लेने का प्रयास किया। जबकि जिला चिकित्सालय प्रशासन की ओर से छह लाख की अनुमानित राशि तय की गई। मामला जिला कलक्टर के पास पहुंचा तो उन्होंने टैंडर निरस्त कर दिया।
अब लटका दिया ताला
सूत्रों का कहना है कि पिछले वर्ष जिला चिकित्सालय में केन्टीन की शुरुआत की गई थी। इसके लिए अलग से कमरे का निर्माण कराया गया तथा परिसर को बैंच, कुर्सी लगाकर व्यवस्थित किया गया। उस समय सबसे कम दर वाले संवेदक को करीब नौ लाख से अधिक राशि में एक वर्ष के लिए टैंडर दिया गया था। केन्टीन में मरीजों की आवश्यकता के मुताबिक सभी तरह की खाद्य सामग्री व चाय, नाश्ता आदि की व्यवस्था रहती है, लेकिन गत 28 फरवरी को टैंडर अवधि समाप्त हो गई तो चिकित्सालय प्रशासन की ओर से एक मार्च 2019 से केन्टीन बंद करा दिया। अब वहां ताले लगे हुए हैं।
ऐसे की सेंधमारी की जुगत
यहां जिला चिकित्सालय परिसर में संचालित केन्टीन की टैंडर अवधि 28 मार्च को समाप्त होने से पहले ही टैंडर जारी कर दिए गए थे तथा गत 23 फरवरी को टैंडर खोले गए, लेकिन अधिक प्रचार-प्रसार नहीं होने से लोगों को इसका पता नहीं लगा। इससे मात्र दो फर्मो ने ही टैंडर डाले। इसमें भी एक टैंडर तो गत वर्ष की संवेदक फर्म की ओर से डाला गया। इसमें करीब छह लाख की दर भरी गई तथा दूसरा एक अन्य फर्म के नाम से डाला गया। इसमें मात्र तीन लाख की दर भरी गई। 23 फरवरी को टैंडर खुलने के बाद छह लाख की दर भरने वाली फर्म ने काम करने से लिखित रूप से असमर्थता जता दी। इससे तीन लाख में टैंडर देने की स्थिति बन गई थी।
-मात्र दो फर्मो ने टैंडर भरे थे। इसमें से छह लाख का टैंडर पुरानी फर्म का था तथा उसने भी लिखित रूप से काम करने में असमर्थता जता दी। छह लाख की राशि निर्धारित होने के कारण एमआरएस अध्यक्ष कलक्टर के समक्ष फाइल प्रस्तुत की गई। बाद में टैंडर निरस्त कर दिया गया। अब शीघ्र ही दुबारा टैंडर आमंत्रित किए जाएंगे।
-डॉ. बिहारीलाल मीणा, पीएमओ, जिला चिकित्सालय
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