स्कूलों में नहीं लगे किचन गार्डन
मिड डे मील में छात्र-छात्राओं को पौष्टिक सब्जियां परोसने के लिए सरकारी स्कूलों मेें किचन गार्डन विकसित करने की योजना तो बना ली लेकिन उक्त किचन गार्डन को विकसित करने के लिए सरकारी स्कूलों के पास न संसाधन है

पौषाहार को नहीं संबल
अवकाश के दिनों में देखाभाल का संकट
बारां. मिड डे मील में छात्र-छात्राओं को पौष्टिक सब्जियां परोसने के लिए सरकारी स्कूलों मेें किचन गार्डन विकसित करने की योजना तो बना ली लेकिन उक्त किचन गार्डन को विकसित करने के लिए सरकारी स्कूलों के पास न संसाधन है और न ही रुचि है। जैसे तैसे किचन गार्डन विकसित करते हैं तो अवकाश के दिनों में यह उजड़ जाते हैं।
सरकारी स्कूलों में कक्षा एक से आठवीं तक के छात्र-छात्राओं को मिड डे मील परोसा जाता है। राजस्थान स्कूल शिक्षा परिषद ने छात्र-छात्राओं को पौष्टिक पोषाहार उपलब्ध कराने के लिए दो साल पहले किचन गार्डन विकसित करने के निर्देश दिए थे। प्रारंभिक शिक्षा के अधीन जिले भर में 927 प्राथमिक व उच्च प्राथमिक, माध्यमिक शिक्षा के अधीन 285 माध्यमिक व उच्च माध्यमिक विद्यालय हैं लेकिन एक या दो स्कूलों को छोडक़र किसी में भी किचन गार्डन विकसित नहीं हुआ। योजना के तहत उक्त स्कूलों में क्यारियां बनानी थी। क्यारियों में सब्जियां व फल के बीज बोने थे। पौधों को लगाने व देखभल करने की जिम्मेदारी सरकारी स्कूलों के छात्र-छात्राओं को देनी थी। उक्त पौधों से उगने वाली सब्जियों को मिड डे मील में प्रयोग करना था। यही नहीं मिड डे मील से जो किचन वेस्ट बचता है। उससे जैविक खाद तैयार करनी थी।
आधे ही स्कूलों में चार दीवारी
आंकड़ों पर नजर डाले तो जिले के 1 हजार 212 स्कूलों में से 50 प्रतिशत स्कूलों में ही चार दीवारी है। 15 प्रतिशत स्कूलों में दीवार क्षतिग्रस्त है। बाकी बचे स्कूलों में दीवारें ही नहीं है। इन स्कूलों में चाहकर भी किचन गाड्रन विकसित नहीं किए जा सकते।
देखभाल को कर्मचारी नहीं
समग्र शिक्षा अभियान के अधिकारियों का कहना है कि जिन स्कूलों में चारदीवारी व पर्याप्त संसाधन है। वहां संस्था प्रधानों को किचन गार्डन विकसित करने का दबाव बनाया गया, लेकिन ग्रीष्मकालीन, शीतकालीन या अन्य अवकाश के दिनों में किचन गार्डन की देखभाल करने वाला कोई नहीं है। ऐसे में संस्था प्रधानों ने रुचि नहीं दिखाई।
सरकारी स्कूलों में किचन गार्डन विकसित करने हैं, लेकिन अवकाश के दिनों में देखभाल करने वाले कर्मचारी नहीं है। किचन गार्डन विकसित करने के बाद आसपास के छात्रों को देखभाल करने की जिम्मेदारी दी जाएगी।
हरमोहन गालव, एडीपीसी, समग्र शिक्षा अभियान, बारां
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