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सैकड़ों पक्षी बने मौत का ग्रास, लावारिस छोड़े मवेशियों पर मुसीबत

locationबारांPublished: Apr 17, 2019 09:26:03 pm

Submitted by:

Hansraj

शहर समेत जिले में बुधवार सुबह आठ बजे बाद मौसम खुल गया तथा दिनभर धूप निकली, लेकिन इसमें तेजी नहीं रही। इससे पूर्व मंगलवार रात को शुरू हुआ बारिश का दौर सुबह छह बजे बाद थमा।

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सैकड़ों पक्षी बने मौत का ग्रास, लावारिस छोड़े मवेशियों पर मुसीबत

मौसम की मार
जिले में रात भर रिमझिम, हरनावदाशाहजी में गिरे ओले
बारां. शहर समेत जिले में बुधवार सुबह आठ बजे बाद मौसम खुल गया तथा दिनभर धूप निकली, लेकिन इसमें तेजी नहीं रही। इससे पूर्व मंगलवार रात को शुरू हुआ बारिश का दौर सुबह छह बजे बाद थमा। इस दौरान जिले के सभी क्षेत्रों में कहीं रिमझिम तो कहीं तेज बारिश हुई। जिले के हरनावदााशाहजी क्षेत्र में बारिश के साथ ओलावृष्टि भी हुई, यहां दो-तीन मिनट तक बेर के आकार के ओले गिरे। इस दौरान लोग सांसत में रहे तो सैकड़ों पक्षी कालकल्वित हो गए। खुले में छोड़े हुए मवेशी भी बरसात से बचाव के लिए सुरक्षित ठिकाने ढूंढ़ते रहे। वहीं लगभग 10 हजार हैक्टेयर जमीन में खड़ी गेहूं की फसल में व्यापक खराबा हुआ। जल संसाधन विभाग के बाढ़ नियन्त्रण कक्ष के सूत्रों के अनुसार बुधवार सुबह आठ बजे बीते चौबीस घंटों में सर्वाधिक 35 मिमी बारिश बारां तहसील मुख्यालय पर दर्ज की गई। मांगरोल में 27 तथा अन्ता में 22 मिमी बारिश रिकॉर्ड की गई। जिले में बुधवार को अधिकतम तापमान 31 व न्यूनतम तापमान 21 डिग्री सेल्सियस रहा।
साढ़े आठ हजार हैक्टेयर की फसल प्रभावित
जिले में इस वर्ष रबी के दौरान करीब 3 लाख 26 हजार हैक्टेयर में गेहूं, सरसों, चना व धनिया समेत अन्य फसलों की बुवाई हुई थी। इनमें गेहूं को छोडक़र सभी फसलें करीब एक पखवाड़ा पहले तैयार हो चुकी है। गेहूं की 1 लाख 40 हजार हैक्टेयर में बुवाई हुई थी, इसमें से बारिश से पूर्व तक १ लाख 30 हजार हैक्टेयर रकबे के गेहूं तैयार हो गए थे। कृषि विभाग के सूत्रों के मुताबिक अब केवल चम्बल सिंचित अन्ता व मांगरोल उपखंड में साढ़े आठ हजार बीघा में गेहूं खेतों में खड़े हैं। बारिश से इन गेहूं में खराबे की आशंका जताई जा रही है। क्षेत्र के कई किसानों का कहना बारिश व तेज अंधड़ से फसल में व्यापाक खराबा हुआ है।
उत्पादन नहीं गुणवत्ता पर असर
उपनिदेशक कृषि अतीश कुमार शर्मा का कहना है कि अन्ता व मांगरोल क्षेत्र में बारिश व आंधी का असर तो रहा है, लेकिन ओलावृष्टि नहीं हुई। इससे गेहूं की फसल का उत्पादन तो प्रभावित नहीं होगा, लेकिन इसकी गुणवत्ता पर असर पड़ सकता है। इसके दाने की चमक फीकी पड़ सकती है। वैसे जिले में अब दो या तीन फीसदी रकबे की ही रबी की फसलें तैयार नहीं हुई है।

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