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यहां 10 साल से वीरान हैं 524 मकान

शहर से करीब दस किलोमीटर की दूरी पर कोटा रोड पर आवासीय कॉलोनी बनाने का निर्णय लोगों को रास नहीं आ रहा है। हाल यह है कि यहां कॉलोनी का निर्माण हुए एक दशक से अधिक का समय हो गया, लेकिन अब तक पूरी कॉलोनी वीरान पड़ी हुई है।

बारांJan 24, 2019 / 01:02 pm

Hansraj

baran

कब्जा लेने के बाद आवंटी नहीं कर रहे बसर

आवासन में अवसान
कब्जा लेने के बाद आवंटी नहीं कर रहे बसर
शहर से दस किमी की दूरी बनी बड़ी मजबूरी
बारां. राजस्थान आवासन मंडल की ओर से शहर के लोगों के लिए शहर से करीब दस किलोमीटर की दूरी पर कोटा रोड पर आवासीय कॉलोनी बनाने का निर्णय लोगों को रास नहीं आ रहा है। हाल यह है कि यहां कॉलोनी का निर्माण हुए एक दशक से अधिक का समय हो गया, लेकिन अब तक पूरी कॉलोनी वीरान पड़ी हुई है। कॉलोनी में बने करीब 524 आवासों में से करीब 75 प्रतिशत आवासों का आवंटन हो गया है। आवंटियों ने कब्जे भी संभाल लिए है, लेकिन अब तक एक भी आवंटी ने रहना शुरू नहीं किया है। वहीं दूसरी ओर आवासन मंडल ने कॉलोनी के निर्माण के बाद इसकी सुध नहीं ली। इससे अब यहां बने आवास भी जर्जर हो गए। अब इस कॉलोनी में मकान नहीं भूत बंगले नजर आते हैं।
…तो ले गए ट्रांसफार्मर
कॉलोनी में विद्युत व्यवस्था के लिए खम्भे खड़े कर रोड लाइट की व्यवस्था तो कर दी गई थी। लोग बसते तो घरेलु कनेक्शन भी होते, लेकिन लोग नहीं बसे ओर रोड लाइटें जगमगाती रही। विद्युत निगम की ओर से कनेक्शन होने का इंतजार भी किया गया, लेकिन कनेक्शन नहीं हुए तथा कुछ लोग रात के समय बिजली का दुरुपयोग करने लग गए। इसकी शिकायत मिलने के बाद विद्युत वितरण निगम कर्मचारी विद्युत ट्रांसफार्मर ही खोलकर ले गए। निगम के एईएन (ग्रामीण) सुनील गठाला का कहना है कि कनेक्शन नहीं हुए तो करीब 20 दिन पहले ट्रांसफार्मर खुलवाया गया है।
आवासों में गड्ढे, दीवारों में दरारें
आवासन मंडल की ओर से आवासों का निर्माण तो कराया गया, लेकिन अधिकांश आवासों में फर्श तक नहीं कराया गया। इससे आवासों में दो से तीन फीट तक गहरे गड्ढे हो रहे हैं। कई आवासों की दीवारों में दरारे आ गई है तो कई के खिडक़ी दरवाजे चोरी तक हो गए। अज्ञात शातिर खिड़कियों में लगी लोहे की जालियां तक निकालकर ले गए। आवासों की हालत भूत बंगले जैसी हो रही है। कॉलोनी में कुछ जगह तक शुरू से सडक़ निर्माण नहीं कराया गया। कुछ सडक़े बनाई गई, लेकिन अब वह उखड़ गई है, डामर गायब होता जा रहा है। पार्क की हालत ऐसी है कि वहां दो पल सुकून से नहीं बीता सकते। पार्को की हरियाली उजड़ गई तथा झाड़ झंकाड़ उग गए। इसी तरह लाखों की लागत के विभिन्न श्रेणी के आवासों में झाड़-झंकाड़ उग आए है।
मरम्मत व सुविधा विस्तार की दरकार
आवासन मंडल विकास समिति के अध्यक्ष माहनलाल चौरसिया व महामंत्री देवकीनन्दन चतुर्वेदी का कहना है कि अधिक दूरी होने तथा कॉलोनी में सुविधाओं को व्यवस्थित नहीं रखने से लोगों ने अब तक बसना शुरू नहीं किया है। अब आवंटियों का राहत देने के लिए विभाग की ओर से मुख्यमंत्री जन आवास योजना के तहत अनुदान दिया जाए। दण्डनीय राशि माफी योजना के तहत ब्याज राशि में छूट दी जाए।
आवासों की मरम्मत कराकर सुविधाओं का विस्तार किया जाए। मुख्य प्रवेश मार्ग को 60 फीट चौड़ा कर सिटी फोरलेन राजीव पथ से जोड़ा जाए।
यह बनाए थे आवास
मंडल की ओर से बड़े जतन से वर्ष 2000 के दशक के शुरुआती वर्षों में आवासन मंडल ने घरौंदा योजना के तहत अल्प आय वर्ग के करीब पांच सौ आवेदन लिए तथा कुछ वर्ष बाद आवासों का निर्माण शुरू किया। केन्द्रीय विद्यालय के पीछे हरिपुरा के समीप 233 आवास बनाए थे। बाद में इसके समीप ही 144 एवं करीब 122 आवास तथा उसके बाद 25 आवास और बनाए गए थे। यह सभी 524 आवास खाली पड़े हैं।
& करीब 524 आवासों में से 75 फीसदी आवंटित कर कब्जे संभला दिए है। बिजली, पानी, रोड आदि सभी सुविधाएं है। वर्षो तक आवास खाली रहेंगे तो खराब भी होंगे। अब लोग रहना शुरू करें तो रखरखाव सम्बंधी कार्य भी करा दिए जाएंगे।
रियाज कुरैशी, अधिशासी अभियंता (कार्यवाहक), राजस्थान आवासन मंडल
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