scriptदुधारू गाय बनी ब्लड़ सेपरेशन यूनिट ,मरीजों के साथ अस्पताल को भी मिली राहत | blud sepration unit baran,income by plasma selling | Patrika News

दुधारू गाय बनी ब्लड़ सेपरेशन यूनिट ,मरीजों के साथ अस्पताल को भी मिली राहत

locationबारांPublished: Feb 17, 2020 03:16:26 pm

दुधारू गाय बनी ब्लड़ सेपरेशन यूनिट ,मरीजों के साथ अस्पताल को भी मिली राहतबारां. जिला मुख्यालय पर संचालित सरकारी क्षेत्र की पहली ब्लड कम्पोनेंट सेपरेशन यूनिट जिले के मरीजों के लिए ही नहीं जिला चिकित्सालय के लिए भी दुधारू गाय साबित हो रही है। जिला प्रशासन के प्रयासों से सरकार की ओर से जुलाई 2018 में जिला चिकित्सालय ब्लड बैंक भवन में सेपरेशन यूनिट शुरू की गई।

baran hospital blood unit

baran hospital blood unit

दुधारू गाय बनी ब्लड़ सेपरेशन यूनिट ,मरीजों के साथ अस्पताल को भी मिली राहत
बारां. जिला मुख्यालय पर संचालित सरकारी क्षेत्र की पहली ब्लड कम्पोनेंट सेपरेशन यूनिट जिले के मरीजों के लिए ही नहीं जिला चिकित्सालय के लिए भी दुधारू गाय साबित हो रही है। जिला प्रशासन के प्रयासों से सरकार की ओर से जुलाई 2018 में जिला चिकित्सालय ब्लड बैंक भवन में सेपरेशन यूनिट शुरू की गई। इसके कुछ माह बाद यहां एकत्र होने वाले ब्लड से प्लाजमा तैयार कर उसको बेचने का फार्मूला अपनाया गया। फरवरी 2019 में एक उच्च स्तरीय कम्पनी को निर्धारित दर पर प्लाज्मा आपूर्ति करने का टैंडर दिया गया। उसके बाद पिछले एक वर्ष में करीब 6 16 0 यूनिट प्लाजमा की आपूर्ति की गई। इससे जिला चिकित्सालय एमआरएस को 21 लाख 8 3 हजार 8 02 रुपए की इनकम हुई है।
इस तरह मिल रहा मरीजों को लाभ
एक यूनिट ब्लड में चार कम्पोनेंट रेड ब्लड सेल (आरबीसी), प्लाज्मा, प्लेटलेट्स व क्रायोप्रेसीपिटेट होते हैं। ब्लड कम्पोनेंट सेपरेशन यूनिट में ब्लड को घुमाया (मथा) जाता है। इससे ब्लड परत दर परत (लेयर बाई लेयर) हो जाता है। इससे आरबीसी, प्लाज्मा, प्लेटलेट्स व क्रायोप्रेसीपिटेट अलग-अलग हो जाते हैं। जरूरत के मुताबिक इनको निकाल लिया जाता है। ब्लड सेपरेशन यूनिट शुरू होने से यहां एक ब्लड यूनिट से उक्त चारों चीजों को अलग करने की सुविधा शुरू हो गई। इससे एक यूनिट ब्लड से ही चार लोगों की जरूरत को पूरा किया जा रहा है। इस तरह जिले के मरीजों को भी महंगे दामों पर प्लेटलेट्स व प्लाजमा खरीदने से राहत मिली है।
ऐसे रखते हैं लम्बे समय तक सुरक्षित
पीआरबीसी (पैक्ड रेड ब्लड सेल्स) को अब तक 35 दिन तक ही सुरक्षित रखा जा सकता था। यूनिट लगने के बाद सेगम की सहायता से 42 दिन तक 2 डिग्री सेंटीग्रेड से 6 डिग्री सेंटीग्रेड पर रखकर सुरक्षित रखा जाने लगा है। एफएफपी (फ्रेल फ्रोजल प्लाजमा) को डी फ्रिजर में माइनस 30 डिग्री सेंटीग्रेड तापमान पर रख एक साल तक सुरक्षित रखा जा सकता है। इसका उपयोग बर्नकेस और हेपेटिक सर्जरी में किया जाता है। प्लेटलेट्स को पांच दिन तक 20 से 24 सेंटीग्रेड पर रखकर लगातार हिलाते रहने वाली मशीन में रखकर सुरक्षित रखा जा सकता है। इसका प्रयोग ल्यूकिमा कैंसर, डेंगू व बोनमैरो में आता है। क्रायोप्रेसीपिटेट को एक साल तक डीप फ्रिजर में माइनस 30 सेंटीग्रेड तापमान पर रख सुरक्षित रखा जा सकता है। इसका उपयोग हीमोफीलिया फ्रीब्रारिन जिमीया में काम आता है।
ब्लड बैंक टीम ने किया विस्तार
ब्लड बैंक टीम की ओर से वर्ष 2019 के दौरान जिले के विभिन्न गांव कस्बों में लगाए गए शिविरों से करीब 5852 यूनिट ब्लड एकत्र किया गया। इस तरह शिविर समेत अन्य स्वैच्छिक रक्तदाताओं के सहयोग से करीब 12 हजार 333 यूनिट ब्लड एकत्र किया गया। करीब 14 हजार 252 यूनिट ब्लड जरूरतमंदों को उपलब्ध करा कर आपूर्ति की गई।
उपलब्ध ब्लड से सिंगल डोनर प्लेटलेट (एसडीपी) 29 यूनिट मिली तथा 431 रेंडम डोनर प्लेटलेट (आरडीपी) व फ्रेश फ्रोजल प्लाजमा (एफएफपी) 174 यूनिट तैयार की गई।
अब जिला चिकित्सालय को प्रति वर्ष करीब 20 लाख रुपए से अधिक की इनकम शुरू हो गई। इसका उपयोग हीमोफीलिया फ्रीब्रारिन जिमीया में काम आता है।
अब दूर हुई तंगहाली
पूर्व में सरकार की ओर से नि:शुल्क जांच योजना शुरू करने के बाद जिला चिकित्सालय की आय पर ग्रहण लग गया था। ओपीडी व आईपीडी पर्ची से ही नाम मात्र की आय हो रही थी। इसमें भी करीब 30 प्रतिशत मरीज नि:शुल्क रहते थे। इस स्थिति में आर्थिक तंगहाली के हालात बन गए थे। एमआरएस में इनकम नहीं होने से कर्मचारियों को रखने व जरूरी चिकित्सा उपकरणों की खरीद, मरम्मत एवं रखरखाव आदि कार्य करने के लिए भी सरकार का मुंह ताकना पड़ता था। अब इतनी अधिक दिक्कत नहीं होगी।
& यहां ब्लड सेपरेशन यूनिट शुरू होने से डेंगू, हिमोफिलिया व बर्न रोगियों समेत विभिन्न बीमारियों के मरीजों को विशेष राहत मिली है। पूर्व में ऐसे मरीजों को कोटा रैफर किया जाता था। इसके अलावा शेष बचे हुए प्लाज्मा से जिला चिकित्सालय की अतिरिक्त आय शुरू हुई है। इससे स्वास्थ्य सुविधाओं के विस्तार में काम लिया जा रहा है।
डॉ. बिहारी लाल मीणा, प्रभारी, ब्लड बैंक बारां
& सेपरेशन यूनिट से होने वाली आय से चिकित्सा सुविधाओं को और अधिक प्रभावी बनाने पर जोर दिया जाएगा। मरीजों के हित में सुविधाओं का सरलीकरण व सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत करने पर विचार किया जा रहा है।
डॉ. अख्तर अली, पीएमओ, जिलास चिकित्सालय
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो