इससे पूर्व वन विभाग ने जिलेभर में २१ वाटर ***** चिन्हित कर टैंकर से पानी पहुंचाना शुरू कर दिया था, लेकिन अब टैंकरों को रोक दिया गया है। मार्च माह के दूसरे पखवाड़े से ही जंगलों में वन्य जीवों के पेयजल के चिन्हित वाटर ***** से रीतने का सिलसिला शुरू होने लगा था।
इससे वन्य जीव प्यास बुझाने के लिए जंगल के निकट की बस्तियों तक पहुंचने लगे थे। ऐसे में उन गांवों के लोग दहशत में आने लगे थे। इस मामले को राजस्थान पत्रिका में खबर प्रकाशित होने के बाद वन विभाग हरकत में आया था। विभागीय अधिकारियों ने सर्वाधिक आवश्यकता २१ वाटर ***** में पानी पहुंचाने के लिए सभी रैंजर्स को निर्देश जारी किए थे। रैंजर्स ने करीब दस दिन पहले ही वाटर ***** में पानी भरने के लिए टैंकर पहुंचाने शुरू कर दिए थे, लेकिन जिले में तीन दिन पहले हुई बारिश से जंगलों के वाटर ***** में पानी की आवक हो गई। इससे फिलहाल टैंकर रोक दिए गए हैं।
जिले में २१ ***** किए थे चिन्हित
वन विभाग के सूत्रों ने बताया कि मार्च माह के अन्तिम सप्ताह में जंगलों में रीते २१ वाटर ***** को चिन्हित किया था। इनमें कृष्ण मृग से आबाद सोरसन वन क्षेत्र के १२, शाहाबाद के ४, छीबड़ौद क्षेत्र के ३ तथा शेरगढ़ व अटरू में एक-एक वाटर ***** शामिल है। सूत्रों का कहना है कि इन्हीं ***** पर सर्वाधिक वन्य जीव गर्मी में प्यास बुझाने पहुंचते हैं।
दो लाख रुपए किए स्वीकृत
विभागीय सूत्रों के अनुसार गर्मी की शुरुआत में जंगलों में टैंकरों से जल परिवहन के लिए दो लाख रुपए की राशि स्वीकृत की गई, इसे आवश्यकता अनुसार बढ़ाया जा सकता है। गर्मी के सीजन में वन विभाग बीते कई बरसों से इसी तरह वन्य जीवों के लिए पेयजल का प्रबंध करता रहा है।
– वाटर ***** में पानी भरने के लिए इस माह की शुरुआत में सभी रैंजर्स को निर्देशित कर टैंकर पहुंचाना शुरू कर दिया था। अब बारिश होने से फिलहाल तो राहत मिल गई। अब तक १० टैंकर पानी ही सोरसन के वन क्षेत्र में स्थित वाटर ***** में डाला गया है।
दीपक गुप्ता, सहायक वन संरक्षक बारां