बारां

नदी पार कर जान जोखिम में डालकर बच्चें जाते है स्कूल

बारां. जिले में स्कूल जाने के लिए बच्चों को करना पड़ता है रोज संघर्ष। नदी पार कर जान जोखिम में डालकर बच्चें जाते है स्कूल। तो छोटे बच्चों को कंधे पर बैठाकर नदी पार कराकर अभिभावक भेजते है स्कूल।जिलें में आज भी आजादी के 70 बर्ष बाद भी लोगो को मूलभूत सुविधाऐं नही मिल रही है। ओर गांव जाने के लिए सड़क ओर पुलिया तक नही बनी।

बारांSep 18, 2019 / 04:21 pm

Shivbhan Sharan Singh

SCHOOLNADIPARKERJATEBACHHE

बारां. जिले में स्कूल जाने के लिए बच्चों को करना पड़ता है रोज संघर्ष। नदी पार कर जान जोखिम में डालकर बच्चें जाते है स्कूल। तो छोटे बच्चों को कंधे पर बैठाकर नदी पार कराकर अभिभावक भेजते है स्कूल।
जिलें में आज भी आजादी के 70 बर्ष बाद भी लोगो को मूलभूत सुविधाऐं नही मिल रही है। ओर गांव जाने के लिए सड़क ओर पुलिया तक नही बनी। ऐसे में रोज लोगो को नदी में बहते पानी में जान जोखिम में डालकर जाना आना पड़ता है। ओर बच्चों को भी रोज पढ़ाई के लिए संघर्ष करना पड़ता है।
अटरू उपखंड मुख्यालय से 15 किलोमीटर दूर खानपुर मार्ग पर स्थित झाड़खंड गांव के छोटे छोटे बच्चों को बारिश के दिन लोगों को परेशानी झेलनी पड़ती है।
ग्रामीणों का कहना है कि बारिश के दिनों में एक ओर बालूखाल ओर दूसरी ओर भूपसी नदी से गांव घिर जाता है। रेवेन्यू विलेज न होने के कारण इस गांव को प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना से भी नही जोड़ा गया। ऐसें में लोग नदी को पार करके ही आते आते है। वही बच्चें स्कूल जानें के लिए रोज संघर्ष करते है। ग्रामीण, ग्राम पंचायत से लेकर मुख्यमंत्री तक सडक बनाने की मांग कर चुकें लेकिन किसी ने गांव की सुध नही ली। ओर लोग कष्टकारी जीवन जीने को मजबूर।
विजुअल- जान जोखिम में डालकर नदी पार कर स्कूल जाते बच्चें।

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