शहर के लोग सुबह से शाम तक भागदौड़ कर जुटा रहे पेयजल
बारां. सुबह और शाम तो हैडपम्प पर भीड़ रहती है, इससे दोपहर में घर से करीब तीन सौ मीटर दूर चलकर पानी लेने आना पड़ा। अब आप ही बताओ नल कब तक आएंगे। रोज इधर-उधर से पानी का बंदोबस्त करते कमर टूट गई। यह पीड़ा गुरुवार दोपहर शिवाजी कॉलोनी में एक हैडपम्प पर कुछ महिला, युवती व बच्चों के साथ बर्तन लेकर पानी भरने के लिए बारी आने का इंतजार कर रही वृद्धा कमला बाई बैरवा ने व्यक्त की। यह तो बानगी भर है, करीब सवा लाख की आबादी वाले शहर के हर घर की यही कहानी है। यहां गुरुवार को पांचवे दिन भी नल सूखे रहे। अब बात सरकार तक पहुंची तो अफसरों व कुछ जनप्रतिनिधियों की नींद टूटी। हड़बड़ाहट में जिला कलक्टर डॉ. एसपी सिंह, जलदाय के अतिरिक्त मुख्य अभियंता आरके भारतीय व विधायक रामपाल मेघवाल से लेकर अन्य अधिकारी कर्मचारी कालामौखा नाले पर पहुंचे। उन्होंने फिर से काम शुरू कराया। शाम छह बजे लाइन जोड़ दी। अब सबकुछ ठीकठाक रहा तो शुक्रवार को जलापूर्ति होगी।
रात में बह गई दिन की मेहनत
हीकड़दह से पाठेड़ा फिल्टर प्लांट तक की तो लाइन ठीक है, पानी भी पहुंच रहा है, लेकिन फिल्टर प्लांट से अटरू रोड पम्पहाउस आ रही 24 इंची पाइप लाइन 22 जुलाई की सुबह रेलवे ट्रेक के समीप कालामौखा नाले पर टूट गई। इसके बाद बारिश का क्रम जारी रहने व लाइन पर 3-4 फीट पानी रहने से मंगलवार तक काम शुरू नहीं हुआ। बुधवार को नाला खाली हुआ तो शाम तक लाइन जोडक़र पानी शुरू कर दिया था, लेकिन लाइन छह घंटे में ही जवाब दे गई। नाले में पानी की आवक होने से देर रात तीन पाइप बह गए। इससे गुरुवार को सिविल लाइन व सब्जीमंडी की एक टंकी से आपूर्ति हुई।
आन्दोलन की चेतावनी
पार्षद राहुल शर्मा ने जलदाय विभाग को ज्ञापन दिया। उन्होंने कहा कि पांच दिन से शहर में जलापूर्ति बंद है, आमजन का जीना दूभर हो रहा है। गर्मी में शहर में पहली बार एकांतरे जलापूर्ति के दिन देखने पड़े। अब दो दिन में व्यवस्था सुचारू नहीं हुई तो आंदोलन किया जाएगा। पार्षद हरिराज गुर्जर ने भी रोष जताया।
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