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बारां

लोगों का रास्ते में ही मौत से हो रहा सामना

सड़कों पर छोटी सी भूल जीवन पर कितनी भारी पड़ रही है यह सड़क दुर्घटना में जान गंवाने वाले के परिजनों की पीड़ा से सहज अनुमान लगाया जा सकता है। इसके बावजूद ना तो लोग असावधानी पूर्वक वाहन चलाने से बाज आ रहे हैं, और ना ही जिम्मेदारों की ओर से दुर्घटनाओं पर प्रभावी अंकुश लगाया जा रहा है।

बारांOct 14, 2018 / 11:32 am

Dilip

baran

Deadly roads in the district

बारां. सड़कों पर छोटी सी भूल जीवन पर कितनी भारी पड़ रही है यह सड़क दुर्घटना में जान गंवाने वाले के परिजनों की पीड़ा से सहज अनुमान लगाया जा सकता है। इसके बावजूद ना तो लोग असावधानी पूर्वक वाहन चलाने से बाज आ रहे हैं, और ना ही जिम्मेदारों की ओर से दुर्घटनाओं पर प्रभावी अंकुश लगाया जा रहा है। ताज्जुब तो यह है कि दुर्घटनाओं में बेकसूर लोगों की जान जा रही है। पैदल राह पार करने वाले व बसों आदि में यात्रा कर रहे मुसाफिरों की जान पर भी बन रही है। यहां शुक्रवार को वृद्धावस्था पेंशन के लिए परेशान एक महिला को तेज रफ्तार ट्रक ने कुचल दिया। महिला भामाशाह कार्ड को बैंक खाते से लिंक कराकर लौट रही थी। बस इसी से सरकारी व्यवस्था एवं परिवार के दर्द का अंदाजा लगाया जा सकता है। जिले से गुजर रहा करीब 286 किलोमीटर नेशनल हाई-वे 27 तो निर्माण के बाद से सैकड़ों परिवारों को गहरे जख्म दे चुका है, इसकी हालात अब जीर्णशीर्ण हो गई। इसके बावजूद राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकारण के मरम्मत तक नहीं करा रहे। बेबसी का आलम यह है कि प्राधिकरण में जिला कलक्टर के निर्देश भी बेअसर साबित हो रहे हैं। दूसरी ओर परिवहन विभाग बिना जांचे, परखे दलालों की मार्फत थोक में ड्राइविंग लाइसेंस जारी कर रहा है। इससे नौसिखया चालकों के फर्राटे जानलेवा साबित हो रहे हैं। पिछले एक सप्ताह में सड़क दुघर्टनाओं में आधा दर्जन लोग असमय मौत के मुंह में समां गए। इनमें तीन की मौत तो राष्ट्रीय राजमार्ग पर हुई है।
छिन गया बुढ़ापे का इकलौता सहारा
बापचा थाना क्षेत्र के जैपला निवासी राजेंद्र सिंह की विधवा मन्नी बाई ने सोचा नहीं था कि मजदूरी पर जा रहे उसके बुढ़ापे का सहारा व इकलौता बेटे को वह आखरी बार जाता हुआ देख रही है। गुरुवार को सुनील सिंह फसल कटाई के लिए खेत पर मजदूरी करने गया था। लौटते समय उसी ट्रैक्टर की चपेट में आने से उसकी मौत हो गई। सुनील के चचेरे भाई अजय सिंह के अनुसार सुनील के पिता की 10 वर्ष पहले मृत्यु हो चुकी है। अब मां अकेली रह गई।
270 दिनों में 303 दुर्घटनाएं
हाल यह है कि जिले में एक वर्ष में औसतन 160 से अधिक लोगों की सड़क दुर्घटनाओं में मृत्यु हो रही है। पिछले वर्ष भी जिले में करीब 158 लोगों की मौत हुई तो इस वर्ष बीते नौ माह के करीब 270 दिनों में 303 दुर्घटनाएं हुई है। इसमें करीब 101 लोगों की जान चली गई। इनमें जिले के अन्ता व किशनगंज थाना क्षेत्र में सबसे अधिक मृत्यु हुई है। अन्ता में इस वर्ष अब तक 22 दुर्घटनाओं में 39 घायल व 12 की मौत तथा किशनगंज में 17 दुर्घटनाओं में 24 घायल व सर्वाधिक 13 जनों की मृत्यु हुई है। इसके बाद कोतवाली थाना क्षेत्र में नौ माह में 11 की जान गई है।
भामाशाह नहीं, जिंदगी हो गई लिंक
राजपुर निवासी खेमचंद ने बताया की तंगहाली, भामाशाह से बैंक खाता नंबर नहीं जुड़ा होने व वृद्धावस्था पेंशन नहीं मिलने से उसके माता-पिता दोनों परेशान थे। मां शुक्रवार सुबह पिता फूलचन्द प्रजापत के साथ बैंक खाते को भामाशाह कार्ड से लिंक कराने के लिए शाहाबाद गई थी।
फूलचन्द को अंदाजा भी नहीं था कि पत्नी की उसकी आंखों के सामने ही मौत हो जाएगी। राजपुर जाने के लिए मुंडियर बस स्टैंड पर बस से उतरी तथा बस के आगे से होकर सड़क पार कर रही थी। इसी दौरान बस के पीछे से आ रहे तेज रफ्तार ट्रक ने उसकी जिंदगी को हवा में उड़ा दिया। घटना के दूसरे दिन शनिवार को उसके घर मातम पसरा हुआ था। परिवार का एक-एक सदस्य पेंशन के लिए सरकारी व्यवस्था को कोस रहा था। पति के लम्बे समय से बीमार रहने के कारण कौशल्या ही परिवार की मुखिया थी। उसके पांच बच्चों में से दो की तो अभी शादी भी नहीं हुई। मां की मृत्यु होने से दोनों अविवाहित बच्चों का बुरा हाल है।
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